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________________ २४० ) छक्खंडागमे संतकम्म माणओ मदो तप्पाओग्गजहण्णअसादोदए पदिदो तस्स* उक्कस्सिया हाणी । से काले उक्कस्समवट्ठाणं । __ अरदि-सोग-भय-दुगुंछा-णवंसयवेदाणं असादभंगो। सम्मत्त-सम्मामिच्छत्ताणं उक्कस्सिया वड्ढी कस्स? जो तप्पाओग्गजहण्णसंकिलेसादो उक्कस्ससंकिलेसं गदो तस्स उक्कस्सिया वड्ढी। उक्कस्सिया हाणी कस्स ? जो उक्कस्ससंकिलेसादो तप्पाओग्गजहण्णसंकिलेसं गदो तस्स उक्कस्सिया हाणी। तस्सेव से काले उक्कस्समवढाणं । हस्स रदीणं सादभंगो । णवरि सहस्सारओ ति वत्तव्वं । इत्थि-पुरिसवेदाणं उक्कस्सिया वड्ढी कस्स होदि? जो तिरिक्खो अट्टवरसिओ अटुवस्सओ* जादो तप्पाओग्गजहण्णवेदोएण उक्कस्ससंकिलेसं गंतूण उक्कस्सयं वेदोदयं तदो तस्स उक्कस्सिया वड्ढी । उक्कस्सिया हाणी कस्स? जो तिरिक्खो अवस्सिओ अट्ठवस्सओ जादो उक्कस्सवेदोदयादो सागारक्खएण तप्पाओग्गजहण्णसंकिलेसं जहण्णवेदोदयं गदो च तस्स उक्कस्सिया हाणी । तस्सेव उक्कस्सयमवढाणं ।। णिरयाउअस्स उक्कस्सिया वड्ढी कस्स ? जो तेत्तीससागरोवमट्टिदीओ तप्पाओग्गजहण्णसंकिलेसादो उक्कस्ससंकिलेसंगदो तस्स उक्कस्सिया वड्ढी। उक्कस्सिया जघन्य उदयमें आया है उससे उसकी उत्कृष्ट हानि होती है । अनन्तर कालमें उसके उसका उत्कृष्ट अवस्थान होता है। __ अरति, शोक, भय, जुगुप्सा और नपुंसकवेदकी प्ररूपणा असातावेदनीयके समान है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जो तत्प्रायोग्य जघन्य संक्लेशसे उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त हुआ है उसके उनकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उनकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो उत्कृष्ट संक्लेशसे तत्प्रायोग्य जघन्य संक्लेशको प्राप्त हुआ है उसके उनकी उत्कृष्ट हानि होती है। उसके ही अनन्तर काल में उनका उत्कृष्ट अवस्थान होता है । हास्य और रतिकी प्ररूपणा सातावेदनीयके समान है। विशेष इतना है कि यहां तेतीस सागरोपम स्थितिवाले देवके स्थानमें सहस्रार कल्पवासी देवका कथन करना चाहिये । स्त्रीवेद और पुरुषवेदकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? जो आठ वर्षकी आयुवाला तिर्यच आठ वर्षका होकर तत्प्रायोग्य जघन्य वेदोदयके साथ उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त होकर उत्कृष्ट वेदोदयको प्राप्त होता है उसके उनकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उनकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो आठ वर्षकी आयुवाला तिर्यच आठ वर्षका होकर उत्कृष्ट वेदोदयसे साकार उपयोगके क्षयके साथ तत्प्रायोग्य जघन्य संक्लेश और जघन्य वेदोदयको भी प्राप्त हुआ है उसके उनकी उत्कृष्ट हानि होती है । उसीके उनका उत्कृष्ट अवस्थान होता है । __ नारकायुकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? तेतीस सागरोपम प्रमाण आयुवाला जो जीव तत्प्रामोग्य जघन्य संक्लेशसे उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त हुआ है उसके उसकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसकी ४ ताप्रतौ ' वडढमाणओ' इति पाठः। अ-काप्रत्योः 'पलिदोवमस्स तस्स', ताप्रतौ 'पलि दोवमस्स (पदिदो ) तस्स' इति पाठः। * अ-काप्रत्योः 'वस्स' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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