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________________ उवक्कमाणुयोगद्दारे अणुभागउदीरणा ( २३९ तस्स उक्कस्सिया वड्ढी । अचक्खुदंसणावरणस्स उक्कस्सिया हाणी कस्स ? सुहमेइंदियस्स जहण्णलद्धिस्स से काले तप्पाओग्गविसोहीए सव्वविसुद्धस्स उक्कस्सिया हाणी । उक्कस्समवट्ठाणं कस्स? जो बादरेइंदिओ उक्कस्ससंकिलिट्ठो सागारक्खएण तप्पाओग्गविसुद्धो जादो तत्थेव अवट्टिदो तस्स उक्कस्सयमवढाणं । दसणावरणपंचयस्स उक्कस्सिया वड्ढी कस्स? जो णिद्दावेदओ तप्पाओग्गविसुद्धो संतो तप्पाओग्गउक्कस्ससंकिलिट्ठो जादो तस्स उक्कस्सिया वड्ढी । उक्कस्सिया हाणी कस्स ? जो णिद्दावेदओ उक्कस्ससंकिलिट्ठो सागारक्खएण तप्पाओग्गजहण्णए उदए पदिदो तस्स उक्कस्सिया हाणी । तस्सेव से काले उक्कस्समवढाणं । एवं सेसाणं चदुण्ण पि वत्तव्वं । सादस्स उक्कस्सिया वड्ढी कस्स? जो देवो तेत्तीससागरोवमद्विदीओ तप्पाओग्गजहण्णसादोदयादो उक्कस्सयं सादोदयं गदो तस्स उक्कस्सिया वड्ढी । उक्कस्सिया हाणी कस्स? जो देवो उक्कस्ससादवेदओ मदो मणुस्सो तप्पाओग्गजहण्णसादावेदओ जादो तस्स उक्कस्सिया हाणी । तत्थेव उक्कस्समवढाणं । असादस्स उक्कस्सिया वड्ढी कस्स ? जो णेरइओ तेत्तीससागरोवमद्विदीओ तप्पाओग्गजहण्णअसादोदयादो उक्कस्सयं असादोदयं गदो तस्स उक्कस्सिया वड्ढी । उक्कस्सिया हाणी कस्स ? उक्कस्सअसादोदए वट्टउत्कृष्ट वृद्धि होती है। अचक्षुदर्शनावरणकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? अनन्तर कालमें तत्प्रायोग्य विशुद्धिसे सर्वविशुद्ध होनेवाले ऐसे जघन्य क्षयोपशम संयुक्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीवके उसकी उत्कृष्ट हानि होती है । उत्कृष्ट अवस्थान किसके होता है ? जो बादर एकेन्द्रिय जीव उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त होकर साकार उपयोगके क्षयसे तत्प्रायोग्य विशद्धिको प्राप्त होता हआ वहींपर अवस्थित रहता है उसके उत्कृष्ट अवस्थान होता है। निद्रा आदि पांच दर्शनावरण प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट वद्धि किसके होती है ? जो निद्राका वेदक जीव तत्प्रायोग्य विशद्ध होकर फिर तत्प्रायोग्य उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त होता है उसके निद्रा प्रकृतिकी उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा वृद्धि होती है। इसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? जो निद्राका वेदक जीव उत्कृष्ट संक्लेशको प्राप्त होकर साकार उपयोगके क्षयसे तत्प्रायोग्य जघन्य उदयमें आ पडता है उसके उसकी उत्कृष्ट हानि होती है। उसके ही अनन्तर कालमें उत्कृष्ट अवस्थान होता है। इसी प्रकारसे प्रचला आदि शेष चार दर्शनावरण प्रकृतियोंके सम्बन्धमें भी कहना चाहिये। ___ सातावेदनीयकी उत्कृष्ट अनुभाग-उदीरणा-वृद्धि किसके होती है? तेतीस सागरोपम प्रमाण आयुवाला जो देव तत्प्रायोग्य जघन्य साताके उदयसे उत्कृष्ट साताके उदयको प्राप्त होता है उसके उसकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? उत्कृष्ट सातावेदनीयका वेदक जो देव मृत्युको प्राप्त होकर तत्प्रायोग्य जघन्य साताका वेदक मनुष्य होता है उसके उसकी उत्कृष्ट हानि होती है। वहीं पर उसका उत्कृष्ट अवस्थान होता है। असातावेदनीयकी उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? तेतीस सागरोपम प्रमाण आयुवाला जो नारकी जीव तत्प्रायोग्य जघन्य असाताके उदयसे उत्कृष्ट असाताके उदयको प्राप्त होता है उसके उसकी उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? उत्कृष्ट असाताके उदयमें वर्तमान जो जीव मरकर तत्प्रायोग्य असाताके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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