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________________ २३० ) छक्खंडागमे संतकम्मं अ० गुणा । हस्स अ० गुणा । रदि० अ० गुणा । दुगुंछा० अ० गुणा । भय० अ० गुणा । सोग० अनंतगुणा । अरदि० अ० गुणा । पुरिस० अ० गुणा । इत्थि० अ० गुणा । संजलणचउक्कम्मि अण्णदर० अ० गुणा । वीरियंतराइय० अ० गुणा । परिभोगंतराइय० अनंतगुणा । भोगंतराइय० अ० गुणा । लाहंतराइय० अ० गुणा । दाणंतराइय० अ० गुणा । मणपज्जव० अ० गुणा । अपच्चक्खाणचक्क अण्णदर० अनंतगुणा। पच्चक्खाणचउक्क अण्णदर० अ० गुणा । केवलणाण० केवलदंसण० अ० गुणा । पयला अ० गुणा । णिद्दा० अ० गुणा । सम्मामिच्छत्त अ० गुणा । अनंताणुबंधिarrafम्म अण्णदर० अ० गुणा । मिच्छत्त० अ० गुणा । वेउ० अ० गुणा । तेज अनंतगुणा । कम्मइय० अ० गुणा । देवगइ० अ० गुणा । अजसगित्ति० अ० गुणा । असाद० अ० गुणा । उच्चागोद० जसगित्ति० अ० गुणा । साद० अ० गुणा । देवाउ० अनंतगुणा । एइंदिएसु सव्वमंदाणुभागं हस्स० । रदि० अ० गुणा । दुगुंछा० अ० गुणा । भय० अ० गुणा । सोम० अ० गुणा । अरदि० अ० गुणा । णवुंस० अ० गुणा । ती उदीरणा अनन्तगुणी है। जुगुप्साकी उदीरणा अनन्तगुणी है । भयकी उदीरणा अनन्तगुणी है। शोककी उदीरणा अनन्तगुणी है । अरतिकी उदीरणा अनन्तगुणी है । पुरुषवेदकी उदीरणा अनन्तगुणी है । स्त्रीवेदकी उदीरणा अनन्तगुणी है । संज्वलनचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । वीर्यान्तरायको उदीरणा अनन्तगुणी है । परिभोगान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी है। भोगान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी है। लाभान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी है । दानान्तरायकी उदीरणा अनंतगुणी है । मन:पर्ययज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी है । अप्रत्याख्यानावरणचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । प्रत्याख्यानावरणचतुष्क में अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । केवलदर्शनावरण और केवलदर्शनावरणकी उदीरणा अनं गुणी है । प्रचलाकी उदीरणा अनंतगुणी है । निद्राकी उदीरणा अनंतगुणी है । सम्यग्मिथ्यात्वकी उदीरणा अनन्तगुणी है । अनन्तानुबन्धिचतुष्क में अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । मिथ्यात्वकी उदीरणा अनन्तगुणी है । वैक्रियकशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी है । तैजसशरीरकी उदीरणा अनंतगुणी है । कार्मणशरीरकी उदीरणा अनंतगुणी है । देवगतिकी उदीरणा अनन्तगुणी है । अयशकीर्तिकी उदीरणा अनन्तगुणी है । असातावेदनीयको उदीरणा अनंतगुणी है । उच्चगोत्र और यशकीर्तिकी उदीरणा अनंतगुणी है । सातावेदनीयकी उदीरणा अनन्तगुणी है । देवायुकी उदीरणा अनन्तगुणी है । एकेन्द्रियों में हास्य प्रकृति सबसे मंद अनुभागवाली है। उससे रतिकी उदीरणा अनंतगुण है । जुगुप्साकी उदीरणा अनन्तगुणी है । भयकी उदीरणा अनन्तगुणी है । शोककी उदीरणा अनंतगुणी है | अरतिक उदीरणा अनन्तगुणी है । नपुंसकवेदकी उदीरणा अनंतगुणी है । अ- काप्रत्योः 'रदि० ' इति पाठ: । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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