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________________ उवक्कमाणुयोगद्दारे अणुभागउदीरणा ( २२१ अजसकित्ति अ० गु० हीणा । तिरिक्खगइ० अ० गु० हीणा । चक्खु० अ०गु० होणा। सम्मामिच्छत्त० अ० गु० हीणा । दाणंतराइय० अ० गु० हीणा । लाहंतराइय० अ० गु० हीणा । भोगंतराइय० अ० गु० हीणा। परिभोगंतराइय० अ० गु० हीणा। अचक्खु० अ० गु० होणा। वीरियंतराइय० अ० गु० होणा। सम्मत्त०अणंतगुणहीणा। मणुस्सेसु लव्वतिव्वाणुभागा सादावेदणीय । उच्चागोद० जसकित्ति० अणंतगुणहीणा। कम्मइय० अ० गु० हीणा । तेजइय० अ० गु० हीणा। आहार० अ० गु० हीणा। वेउवि० अ० गु० हीणा। मिच्छत्त अ० गु० हीणा० । केवलणाण० केवलदसण० अ० गु० हीणा । अणंताणुबंधिचउक्कम्मि अण्णदर० अणंतगुणहीणा। संजलणचउक्कम्मि अण्णदर० अ० गु० हीणा । पच्चक्खा० चउक्क० अण्ण०अ० गु० होणा। अपच्च० चउक्क० अण्णदर० अ० गु० होणा*। मदिआवरण० अ० गु० हीणा । सुदणाणाव० अ० गु० हीणा। ओहिणाणाव० ओहिदं ०अ० गु० होणा। मणपज्जव० अ० गु० हीणा। थीणगिद्धि० अ० गु० होणा। णिद्दाणिहा० अ० गु० हीणा। पयलापयला० अ० गु० हीणा । णिद्दा० अ० गुणहीणा । पयला अ० गु० हीणा । रदि० गुणी हीन है । अयशकीर्तिकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। तिर्यग्गतिकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । चक्षुदर्शनावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। सम्यग्मिथ्यात्वकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। दानान्तरायकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। लाभान्तरायकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। भोगान्तरायकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। परिभोगान्तरायकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। अचक्षुदर्शनावरणकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। वीर्यान्तरायकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है । सम्यक्त्वकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। __ मनुष्योंमें सातावेदनीयकी उदीरणा सबसे तीव्र अनुभागवाली है। उससे उच्चगोत्र व यशकीर्तिकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। कार्मणशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। तैजसशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। आहारकशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। वैक्रियिकशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। मिथ्यात्वकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है । केवलज्ञानावरण और केवलदर्शनावरणकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। अनंतानुबन्धिचतुष्कम अन्यतरकी उदीरणा अन्तगुणी हीन है। संज्वलनचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। प्रत्याख्यानावरणचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। अप्रत्याख्यानावरणचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। मतिज्ञानावरणकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है । श्रुतज्ञानावरणकी उदोरणा अनन्तगुणी हीन है । अवधिज्ञानावरण और अवधिदर्शनावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। मनःपर्ययज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। स्त्यानगृद्धिकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। निद्रानिद्राकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । प्रचलाप्रचलाकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। निद्राकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । प्रचलाकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । रतिकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है । हास्यकी उदीरणा अनंतगुणी Jain Education indiaताप्रती ' अणं गुणा०' इति पाठ: Privates Pere www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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