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________________ २२०) छक्खंडागमे संतकम्म होणा। सम्मत्त० अणंतगुणहोणा। तिरिक्खगदीए सव्वतिव्वाणुभागं सादवेदणीयउदीरणा । जसगित्ति-उच्चागोद० अ० गुणहीणा । कम्मइय० अ० गुणहीणा । तेजइय० अ० गु० होणा० । वेउ० अ० गु० हीणा । मिच्छत्त० अ० गु० होणा। केवलाणाण० अ० गु० होणा। केवलदसण० अ० गु० हीणा । अणंताणुबंधिचउक्कम्मि अण्णदर० अ० गुलहीणा । संजलणचउक्कम्मि अण्णदर० अ० गु० हीणा। पच्चक्खाणचउक्कम्मि० अण्णदर० अ० गु० होणा। अपच्च० चउक्क० अण्ण० अणंतणुहीणा । मदिआवरण अ० गु० हीणा । सुदआव० अ० गु० हीणा। ओहिणाणाव० ओहिदसणाव० अ० गु० होणा। मणपज्जव० अ० गु० हीणा। थीणगिद्धि० अ० गु० हीणा। णिद्दाणिद्दा अ० गु० होणा। पयलापयला० अ० गु० हीणा । णिद्दा० अ० गु० हीणा । पयला० अ० गु० हीणा। रदि० अ० गु० हीणा । हस्स० अ० गु० हीणा । ओरालिय० अ० गु० हीणा । तिरिक्खाउ० अ० गु० हीणा । असाद० अ० गु० हीणा । णवंसय० अ० गु० हीणा । इत्थिवेद० अ० गु० हीणा । पुरिस० अ० गु० हीणा । अरदि० अ० गुणहीणा । सोग० अ० गु० होणा। भय० अ० गु० हीणा । दुगुंछा० अ० गु० हीणा । णीचागोद० अणंतगुणहीणा। वीर्यान्तरायकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । सम्यक्त्वको उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । तिर्यग्गतिमें सबसे तीव्र अनुभागवाली सातावेदनीय प्रकृित है। उससे यशकीर्ति और ऊंच गोत्रकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। कार्मणशरीरकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है । तैजसशरीरकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। वैक्रियिकशरीरकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। मिथ्यात्वकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। केवलज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। केवलदर्शनावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। अनन्तानुबन्धिचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। संज्वलनचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। प्रत्याख्यानावरणचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। अप्रत्याख्यानावरणचतुष्कमें अन्यतरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। मतिज्ञानावरणकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है । श्रुतज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। अवधिज्ञानावरण और अवधिदर्शनावरणकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। मनःपर्ययज्ञानावरणकी उदीरणा अनन्तगणी हीन है। स्त्यानगद्धिकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। निद्रानिद्राकी उदीरणा अनंतगणी हीन है। प्रचलाप्रचलाकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । निद्राकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। प्रचलाकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है । रतिकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। हास्यकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। औदारिकशरीरकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। तिर्यगायुकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। असातावेदनीयकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। नपुंसकवेदकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। स्त्रीवेदकी उदीरणा अनंतगुणी हीन है। पुरुषवेदकी उदीरणा अनन्तगुणी 'हीन है। अरतिकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । शोककी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है । भयकी उदीरणा अनन्तगणी हीन है। जुगुप्साकी उदीरणा अनन्तगुणी हीन है। नीचगोत्रकी उदीरणा अनन्त Jain Education internationa
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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