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________________ उवक्कमाणुयोगद्दारे अणुभागउदीरणा ( १८७ संघादाणं सग-सगसरीरभंगो। समचउरससंठाणणामाए जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स? जहण्णियाए पज्जत्तणिवत्तीए उववण्णस्स पढमसमयतब्भवत्थस्स असण्णिस्स । हुंडसंठाणवज्जाणं सेसाणं संठाणाणं जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स? पुवकोडाउअस्स पढमसमयआहार-पढमसमयतब्भवत्थस्स । हुंडसंठाणस्स जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स? सुहुमेइंदियस्स उक्कस्सियाए पज्जत्तणिव्वत्तीए उववण्णस्स पढमसमयआहार-पढमसमयतब्भवत्थस्स । पढमसंघडणस्स पढमसंठाणस्स भंगो । चदुण्णं संघडणाणं जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स ? मणुस्सस्स पुव्वकोडाउअस्स पढमसमयआहार- पढमसमयतब्भवत्थस्स* । असंपत्तसेवट्टसंघडणस्स जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स ? बेइंदियस्स बारसवस्साउद्विदीए उववण्णस्स पढमसमयआहार-पढमसमयतब्भवत्थस्स। वण्ण-गंध-रसाणमप्पसत्थाणं सीद-ल्हुक्खाणं च जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स ? चरिमसमयसजोगिस्सा एदासिं चेव पडिवक्खाणं जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स? उक्कस्ससंकिलिट्ठस्स । कक्खड-गरुआणं जहण्णाणुभागुदीरणा कस्स? केवलिस्स मंथगदस्स पांच संघातोंकी प्ररूपणा अपने अपने शरीरनामकर्म के समान है। समचतुरस्रसंस्थान नामकर्मकी जघन्य अनुभागउदीरणा किसके होती है ? वह जघन्य पर्याप्त निर्वृत्तिसे उत्पन्न हुए असंज्ञी जीवके तद्भवस्थ होने के प्रथम समयमें होती है । हुण्डकसंस्थानको छोडकर शेष संस्थानोंकी जघन्य अनभागउदीरणा किसके होती है ? वह पूर्वकोटि वर्ष प्रमाण आयुवाले प्रथम समयवर्ती आहारकके तद्भवस्थ होने के प्रथम समयमें होती है । हुण्डकसंस्थानकी जघन्य अनुभागउदीरणा किसके होती है ? वह उत्कृष्ट पर्याप्त निर्वृत्तिसे उत्पन्न होकर प्रथम समयवर्ती आहारक व प्रथम समयवर्ती तदभवस्थ हए सक्ष्म एकेन्द्रिय जीवके होती है। प्रथम संहननकी जघन्य अनुभागउदीरणाकी प्ररूपणा प्रथम संस्थानके समान है। चार संहननोंकी जघन्य अनभागउदीरणा किसके होती है? वह प्रथम समयवर्ती आहारक व प्रथम समयवर्ती तद्भवस्थ हुए पूर्वकोटि प्रमाण आयुवाले मनुष्यके होती है। असंप्राप्तासपाटिकासंहननकी जघन्य अनुभागउदीरणा किसके होती है ? वह बारह वर्ष प्रमाण आयुस्थितिके साथ उत्पन्न हुए प्रथम समयवर्ती आहारक व प्रथम समयवर्ती तद्भवस्थ हए द्वीन्द्रिय जीवके होती है। अप्रशस्त वर्ण, गन्ध व रस तथा शीत एवं रुक्ष स्पर्शकी जघन्य अनुभागउदीरणा किसके होती है ? वह अन्तिम समयवर्ती सयोगीके होती है। इनकी ही प्रतिपक्ष प्रकृतियोंकी जघन्य अनुभागउदीरणा किसके होती है ? वह उत्कृष्ट संक्लेश युक्त जीवके होती है। कर्कश और गुरु स्पर्शनामकर्मोकी जघन्य अनुभागउदीरणा किसके होती है ? वह मंथसमुद्घातगत . * अमणो चउरंसुसभाणप्पाऊ सगचिरट्रिई सेसे । संघयणाण य मणओ हंडवघायाणमवि सूहमो । क. प्र. ४, ७५. सेवट्टस्स बिइंदिय बारसवासस्स xxx॥ क. प्र. ४, ७६.: काप्रतौ' सीदुल्लल्हुक्खाणं, ताप्रतौ 'सीदल्ल-ल्हुक्खाणं' इति पारः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001814
Book TitleShatkhandagama Pustak 15
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages488
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size12 MB
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