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छक्खंडागमे वग्गणा-खंड
( ५, ६, ८४. ण, भासो व्व भासे त्ति उवयारेण काहलादिसद्दाणं पि तव्ववएससिद्धीदो ।
भासादव्ववग्गणाणमवरि अगहणदव्ववग्गणा जाम ॥ ८४ ।।
उक्कस्समासादव्ववग्गणाए उवरि एगरूवे पक्खित्ते तदियअगहणदग्धवग्गणाए सम्वजहणिया वग्गणा होदि । तदो रूवत्तरकमेण अभवसिद्धिएहि अणंतगुण-सिद्धाण. मणंतभागमेत्तमद्धाणं गंतूण तदियअगहणदव्ववग्गणाए उक्कस्सिया वग्गणा होदि । सगजहण्णादो उक्कस्ता अणंतगुणा । को गुणगारो ? अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो सिद्धाणमणंतभागो । एसा दसमी वग्गणा १० । एदिस्से वि पोग्गलक्खंधा गहणपाओग्गा ण होति । कुदो? अण्णहा अगहणसण्णाणुववत्तीदो।
अगहणवत्ववग्गणाए उवरि मददव्ववग्गणा णाम ॥ ८५ ॥
तदियागहणदव्वउक्कस्सवग्गणाए* उवरि एगरूवे पक्खित्ते जहणिया मणदव्ववग्गणा होदि । तदो रूवुत्तरकमेण अभवसिद्धिएहि अणंतगुणं सिद्धाणमणंतभागमेत्तमद्धाणं गंतूण उक्कस्सिया मणदव्ववग्गणा होदि । सगजहण्णवग्गणादो उक्कस्सवग्गणा विसेसाहिया। विसेसो पुण सव्वजहण्णमणदव्ववग्गणाए अणंतिमभागो। तस्स को पडिभागो ? अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो सिद्धाणमणंतिमभागो। एसा एक्कारसमी वग्गणा ११ । एदीए वग्गणाए दव्वमणगिव्वत्तण कीरदे ।
समाधान-- नहीं, क्योंकि, भाषाके समान होनेसे भाषा है इस प्रकारके उपचारसे नगारा आदिके शब्दोंकी भी भाषा संज्ञा है।
भाषा द्रव्यवर्गणाओंके ऊपर अग्रहण द्रव्यवर्गणा है ।। ८४ ।।
उत्कृष्ट भाषा द्रव्यवर्गणामें एक अंकके मिलाने पर तीसरी अग्रहण द्रव्यवर्गणासम्बन्धी सबसे जघन्य वर्गणा होती है। इसके आगे एक एक अधिकके क्रमसे अभव्योंसे अनन्तगुणे और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण स्थान जाकर तीसरी अग्रहणद्रव्यवर्गणासम्बन्धी उत्कृष्ट वर्गणा होती है। यह अपने जघन्यसे उत्कृष्ट अनन्तगुणी होती है। गुणकार क्या है ? अभव्योंसे अनन्तगुणा और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण गुणकार है । यह दसवीं वर्गणा है । १० । इसके भी पुद्गलस्कन्ध ग्रहणयोग्य नहीं होते हैं, क्योंकि, ऐसा नहीं माननेपर इसकी अग्रहण संज्ञा नहीं बन सकती है। __ अग्रहण द्रव्यवर्गणाके ऊपर मनोद्रव्यवर्गणा है ॥ ८५ ॥
तीसरी उत्कृष्ट अग्रहण द्रव्य वर्गणामें एक अकके मिलाने पर जघन्य मनोद्रव्यवर्गणा होती है। फिर आगे एक एक अधिकके क्रमसे अभव्योंसे अनन्तगुणे और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण स्थान जाकर उत्कृष्ट मनोद्रव्यवर्गणा होती है। यह अपने जघन्यसे उत्कृष्ट वर्गणा विशेष अधिक है। तथा विशेषका प्रमाण सबसे जघन्य मनोद्रव्यवर्गणाका अनन्तवाँ भाग है । इसका प्रतिभाग क्या है ? अभव्योंसे अनन्तगुणा और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण प्रतिभाग है । यह ग्यारहवीं वर्गणा है। ११ । इस वर्गणासे द्रव्यमनकी रचना करते हैं। * ता. प्रतो '-दव्ववग्गणाए ' इति पाठ:
1 0 अ. प्रती '-मणोणिवत्तणं ' आ. प्रतो '-मणोणिवत्तं ण' इति पाठः।
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