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५, ६, ७७. ) बंधणाणुयोगद्दारे दुपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा (५५ रिति । अन्यथा खरविषाणवत् परमाणोरसत्त्वप्रसड्.गात् । कधं परमाणुस्स पोग्गलत्तं ? अण्णेहि मेलणसत्तिसंभवादो। परमाणूणं परमाणुभावेण सव्वकालमवट्ठाणाभावादो दव्वभावो | जुज्जदे ? ण, पोग्गलभावेण उप्पाद-विणासवज्जिएण परमाणूणं पि दव्यत्तसिद्धीदो।
इमा दुपदेसियपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा णाम ।। ७७॥ दोण्णं परमाणूणं अजहण्णणिद्ध-ल्हुक्खगुणाणं समुदयसमागमेण दुपदेसियपरमाणुपोग्गलदववग्गणा होदि । परमाणणं समागमो किमेगदेसेण होदि आहो सव्वप्पणा? ण ताव सव्वप्पणा; अणंताणं पि परमाणूणं समागमेण परमाणमेतपरिमाणप्पसंगादोण च एवं; सेसासेसवग्गणाणमभावप्पसंगा। ण एगदेसेण समागमो वि परमाणुस्स सावयवत्तप्पसंगादो। ण तं पि; अणवत्थापसंगादो। णाणवत्था वि; सयलथूलकज्जाणमणुप्पत्तिसंगादो। ण च एगपदेसाणं दोण्हं परणाणणं सव्वप्पणा समागमं मोत्तण एगदेसेण समागमो अत्थि; बिदियादिपदेसाभावादो त्ति ? एत्थ परिहारो वुच्चदे-दवट्ठियअप्रदेश परमाणु है यह उसकी व्युत्पत्ति है । यदि 'अप्रदेश' पदका यह अर्थ न किया जाय तो जिस प्रकार गधेके सींगोंका असत्त्व है उसी प्रकार परमाणु के भी असत्त्वका प्रसंग आता है।
शंका-- परमाणु पुद्गलरूप है यह बात कैसे सिद्ध होती है ?
समाधान--- उसमें अन्य पुद्गलोंके साथ मिलनेकी शक्ति सम्भव है, इससे सिद्ध होता है कि परमाणु पुद्गलरूप है ।
शंका-- परमाणु सदा काल परमाणुरूपसे अवस्थित नहीं रहते इसलिये उनमें द्रव्यपना नहीं बनता ?
समाधान-- नहीं, क्योंकि, परमाणुओंका पुद्गलरूपसे उत्पाद और विनाश नहीं होता इसलिये उनमें भी द्रव्यपना सिद्ध होता है।
यह द्विप्रदेशी परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा है ॥ ७७ ॥
अजघन्य स्निग्ध और रूक्ष गुणवाले दो परमाणुओंके समुदायसमागमसे द्विप्रदेशी परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा होती है।
___ शंका-- परमाणुओंका समागम क्या एकदेशेन होता है या सर्वा मना होता है ? सर्वात्मना तो हो नहीं सकता है, क्योंकि, ऐसा होनेपर अनन्त परमाणुओंका भी यदि समागम हो जाय तो भी परमाणुमात्र परिणाम प्राप्त होता है। पर ऐसा है नहीं, क्योंकि, ऐसा होनेपर परमाणुवर्गणाके सिवा शेष सब वर्गणाओंका अभाव प्राप्त होता है। एकदेशेन समागम भी नहीं बनता, क्योंकि, ऐसा होनेपर परमाणु सावयव प्राप्त होता है। यदि परमाणुको सावयव माना जाता है तो अनवस्था दोष आता है। अनवस्था नही आवे यह कहना भी ठीक नहीं है, क्योंकि, ऐसा होनेपर सब स्थूल कार्योकी अनुत्पत्तिका प्रसंग आता है । और एकप्रदेशी दो परमाणुओंके सर्वात्मना समागमको छोडकर एकदेशेन समागम बन नहीं सकता, क्योंकि, परमाणुके द्वितीयादि प्रदेश नहीं पाये जाते ?
प्रतौ । परिमाणत्तप्पसंगादो' इति पाठः।
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