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बंधणाणुयोगद्दारे भावबंधपरूवणा
( ४१ अल्लोवणबंधो चेव । बहुलियाहि परियत्तविसए परिहिज्जमाणाओ साडियाओ* णाम । तासि जो तंतुसंताणबंधो सो अल्लीवणबंधो णाम, तंतूहितो पुधभूदबंधकारणाणुवलंभादो । अण्णे एवमादिया ति वयणेण णेत्तपट्ट कप्पाससुत्तविसेसेण वुअफेवस्थाणं गहणं कायव्वं । सेसं सुगमं ।
जो सो संसिलेसबंधो णाम तस्स इमो णिद्देसो-जहा कट्ठ-जदूणं अण्णोण्णसंसिलेसिवाणं बंधों संभवदि सो सवो संसिलेसबंधो णाम ॥४३॥
जदू णाम लक्खा । लक्खाए कटुस्स च जो अण्णोण्णसंसिलेसेण बंधो सो संसिलेसबांधो णाम । ण च एस गंधो अल्लीवणबंधे पविसदि, पाणिएण जणिदद्दवाभावादो। णालावणबंधे पविसदि; तदो पुधभूददव्वादिबंधकारणाभावादो। जदुग्गहणमेदमुवलक्खणं वज्जलेव-मयणादीणं, चिक्कणदव्वाणं तेण तेसि पि एत्थ गहणं कायव्वं ।
जो सो सरीरबंधो णाम सो पंचविहो-- ओरालियसरीरबंधो वेउब्वियसरीरबंधो आहारसरीरबंधो तेयासरीरबंधो कम्मइयसरीरबंधो चेदि ।। ४४॥ एवं पंचविहो चेव सरीरबंधो होदि, अण्णस्स एदेहितो पुधभूदबंधस्स अणुवलंभादो।
___ स्रियोंके द्वारा देशविशेषमें जो पहिनी जाती हैं वे शाटिका कहलाती हैं । तथा इनका जो तन्तु सन्तानबन्ध होता है वह अल्लीवणबन्ध है, क्योंकि, इनमें तन्तुओंके सिवा अलगसे बन्धके कारण नहीं उपलब्ध होते । 'अण्णे एवमादिया' इस वचनसे नेत्रपट्ट और कपासके सूतसे बुने हुए वस्त्रोंका ग्रहण करना चाहिए । शेष कथन सुगम है।
जो संश्लेषबन्ध है उसका यह निर्देश है-जैसे परस्पर संश्लेषको प्राप्त हुए काष्ठ और लाखका बन्ध होता है वह सब संश्लेषबन्ध है ॥ ४३ ॥
जतु लाखको कहते हैं । लाख और काष्ठके परस्पर संश्लेषसे जो बन्ध होता है वह संश्लेषबन्ध है। यह बन्ध अल्लीवणबन्धमें अन्तर्भूत नहीं होता, क्योंकि, यहाँ पानीसे संयोगको प्राप्त हुए द्रव्य का अभाव हैं । आलापनबन्ध में भी अन्तर्भूत नहीं होता, क्योंकि, इनसे पृथग्भूत द्रव्यादि बन्धके कारण नहीं पाये जाते।
____ 'जतु' पदका ग्रहण यहाँ वज्रलेप और मैन आदि चिक्कण द्रव्योंका उपलक्षण है । इससे इनका भी यहाँ ग्रहण करना चाहिए।
___ जो शरीरबन्ध है वह पाँच प्रकारका है-- औदारिकशरीरबन्ध, वैक्रियिकशरीरबन्ध, आहारकशरीरबन्ध, तैजसशरीरबन्ध और कार्मणशरीरबन्ध ।। ४४ ॥
इस प्रकर पाँच प्रकारका ही शरीबन्ध होता है, क्योंकि, इनसे पृथग्भूत दूसरा शरीरबन्ध
ता. आ. प्रतिषु 'बुहेलिपाहि' इति पाठ: 1 अ-आ- 'प्रत्योः 'महेलियहि' इति पाठ * अ. आ. प्रत्योः 'सादियाओ' इति पाठः । अ आ. प्रत्योः 'वुडवत्थाणं' इति पाठः।
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