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छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं जो सो आलावणबंधो णाम तस्स इमो णिहेसो-से सगडाणं वा जाणाणं वा जुगाणं वा गड्डीण* वा गिण्लीणं वा रहाणं वा संदणाणं वा सिवियाणं वा गिहाणं वा पासावाणं वा गोवुराणं वा तोरणाणं वा से कट्टेण वा लोहेण वा रज्जुणा वा वन्भेण वा दब्भेण वा जे चामण्णे एवमादिया अण्णदव्वाणमण्णदव्वेहि आलावियाणं बंधो होदि सो सन्वो आलावणबंधो णाम ॥ ४१ ॥
एदस्सत्थो वच्चदे। तं जहा-लोहेण बद्धणेमि-तुंब-महाचक्का लोहबद्धछुहयपेरंता लोणादोणं गरुअभरुव्वहणक्खमा सयडा णाम । समद्दमझे विविहभंडेहि आरिदा संता जे गमणक्खमा वोहित्ता ते जाणा णाम । गरुवत्तणेण महल्लत्तणेण: य जं तुरय-वेसरादीहि वन्भदि त जगं णाम । बहरदोचक्काओ धण्णादिहलअव्वभरुव्वहणक्खमाओ गडडीओ णाम फिरिक्कीओ गिल्लीयो नाम । का फिरिक्की णाम? चुदेण वट्टलागारेण घडिदणेमितुंबाधारसरलटकट्टा फिरिक्की णाम । जुद्ध अहिरह महारहाणं चडणजोग्गा रहा णाम ।
जो आलापनबंध है उसका यह निर्देश है-जो शकटोंका, यानोंका, युगोंका, गड्डियोंका, गिल्लियोंका, रथोंका, स्यन्दनोंका, शिविकाओंका, गहोंका, प्रासादोंका, गोपुरोंका और तोरणोंका काष्ठसे, लोहसे, रस्तोसे, चमडे की रस्सीसे और दर्भसे जो बन्ध होता है तथा इनसे लेकर अन्य द्रव्यों से आलापित अन्य द्रव्योंका जो बन्ध होता है वह सब आलापन बन्ध है ।। ४१ ॥
अब इस सूत्रका अर्य कहते हैं । यथा-जिनको धुर, गाडोको नाभि और महाचक्र लोहसे बंधे हुए हैं, जिनके छहय पर्यन्त लोहसे बधे हए है और जो नमक आदि भारी भारको ढोने में समर्थ हैं वे शकट कहलाते हैं । नाना प्रकारके भाण्डोंसे आपूरित होकर भी समुद्र में गमन करने में समर्थ जो जहाज होते हैं वे यान कहलाते हैं । जो बहुत भारी होनेसे और बहुत बडे होनेसे घोड़ा और खच्चर आदिके द्वारा ढोया जाता है वह युग कहलाता है। जिनके दो चके छोटे हैं और जो धान्य आदि हलके भारके ढोने में समर्थ हैं वे गड्डी कहलाती हैं। फिरिक्कीको गिल्ली कहते हैं।
शंका- फिरिक्की किसे कहते हैं ?
समाधान - जिसकी नेमि और तुम्बकी आधारभूत आठ लकड़ियाँ वर्तुलाकार चुन्दसे घटित हैं उसे फिरक्की कहते हैं।
जो युद्ध में अधिरथी और महारथियोंके चढ़ने योग्य होते हैं वे रथ कहलाते हैं। जो
अ आ प्रत्यौः 'सदाणं इति पाठ: 1. अ आ. प्रत्यो 'गदीणं इति पाठः । 1 अ.भा. प्रत्यो: 'लोगादीणं' इति पाठः । ता अ. आ. प्रतिषु बोहित्था इति पाठ | ता. अ आ. प्रतिषः गरुवत्थणेण महल्लत्थणेण इति पारः | +अ प्रती वुच्चदि आ प्रतो वृज्झदि इति पाठः) ता अ. -बा-प्रतिषु '-हलुह- इति पाठःता . प्रतो '-कट्ठा (९) इति पाठः 16 ता. प्रतो अहिरह (राय) महारहा (राया) णं' इति पाठः ।
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