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________________ ५५४ ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंड ( ५, ६, ७५९ करंबियाओ ति ? पुध पुध ण अच्छंति किंतु करंबियाओ । कुदो एवं व्वदे ? 'आउअभागो थोवो गामा-गोदे समो तदो अहिओ' एदीए गाहाए णव्वदे । सेसं जाणिदूण वत्तव्वं । एवं वग्गणणिरूवणा समत्ता। पदेसट्ठवा- ओरालियसरीरदव्ववग्गणाओ पदेसट्ठदा अणंताणंतपदेसियाओ ॥ ७५९ ॥ । ओरालियसरीरवववग्गणाणं पदेसपरिमाणं पुव्वं चेव आहारवग्गणणिरूवणाए परूदिदं । तमेत्थ किमढें वच्चदे ? ओरालियवग्गणापदेसे अस्सिदण वण्णादिपरूवणं करेमि त्ति जाणावणठं वुच्चदे । पंचवण्णाओ ॥ ७६० ।। ओरालियसरीरदव्ववग्गणाओ सुक्किल-रुहिर-किण्ण-णील-पीदवण्णसंजुत्ताओ होति । कथं एकम्हि परमाणुम्हि पंचण्णं वण्णाणं संभवो? ण एक्केक्कम्हि परमाणुम्हि एक्केक्को चेव वग्णपज्जाओ, किंतु ओरालियसरीरवग्गणाए जेण काओचि सुक्किल. वण्णाओ काओचि रुहिरवण्णाओ काओचि किण्णवण्णाओ काओचि णीलवण्णाओ शंका-- ये आठ ही वर्गणायें क्या पृथक् पृथक् रहती हैं या मिश्रित होकर रहती हैं? समाधान-- पृथक् पृथक् नहीं रहती हैं किन्तु मिश्रित होकर रहती हैं । शंका-- यह किस प्रमाणसे जान जाता है ? समाधान- ' आयु कर्मका भाग स्तोक है । नाम कर्म और गोत्र कर्म का भाग उससे अधिक है। इस गाथा से जाना जाता है । शेष का कथन जानकर करना चाहिये। इस प्रकार वर्गणानिरूपणा समाप्त हुई। प्रदेशार्थता- औदारिकशरीरद्रव्यवर्गणायें प्रदेशार्थताको अपेक्षा अनन्तानन्तप्रदेशवाली होती हैं ।। ७५९ ।। शंका-- औदारिकशरीरकी द्रव्यवर्गणाओंके प्रदेशोंका परिणाम पहले ही आहारवर्गणानिरूपणामें किया है, उसे यहां किसलिए कहते हैं ? समाधान-- औदारिकवर्गणाके प्रदेशोंका आश्रय लेकर वर्ण आदिका कथन करते है इस बातका ज्ञान करानेके लिए कहते हैं। वे पाँच वर्णवाली होती हैं ।। ७६० ।। औदारिकशरीरद्रव्यवर्गणायें शुक्ल, लाल, कृष्ण, नील और पीतवर्णसे संयक्त होती हैं। शंका-- एक परमाणु में पाँच वर्ण कैसे होते हैं ? समाधान-- नहीं, क्योंकि, एक एक परमाणु में एक एक ही वर्णपर्याय होती है। किन्तु औदारिकशरीरवर्गणाकी चूंकि कुछ वर्गणायें शुक्लवर्णवाली होती हैं, कुछ लालवर्णवाली होती हैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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