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कथन
विषय पृष्ठ विषय
पृष्ठ 'जत्थेय मरदि जीवो' इस गाथाके उत्तरार्ध के स्कन्ध आदिके आश्रयसे सब सूक्ष्म निगोद कथनकी प्रतीज्ञा
४६९ / मिश्ररूप होते हैं इस बातका निर्देश ४८४ प्रथम समयमें उत्पन्न होनेवाले जीवोंका बादर निगोदोंका मरणक्रमसे निर्गमन होता प्रमाण ४६९ है इस बातका निर्देश
४८५ द्वितीयादि समयोंमें उत्पन्न होनेवाले अयवमध्यक्रमसे निर्गमनका विचार ४८७ जीवोंका प्रमाण
४७० क्षीणकषायके काल में जघन्य आयुमात्र इस प्रकार कितने कालतक जीव निरन्तर | काल शेष रहनेपर बादर निगोद जीव नहीं रूपसे उत्पन्न होते हैं इस बातका निर्देश ४७१/ उत्पन्न होते इस अर्थका ज्ञान कराने के लिए पुनः अन्तर देकर निरन्तर क्रमसे कितने | आयुओंके अल्पबहुत्वका कथन ४९१ कालतक जीव उत्पन्न होते हैं इस बातका गुणश्रेणिमरणके अन्तिम समयमें जघन्यनिर्देश
४७१ | बादर निगोद वर्गणा होती है इस अल्पबहुत्वके दो भेदोंका निर्देश ४७४ | बातका निर्देश अद्धाअल्पबहुत्व
४७४ | जघन्य सूक्ष्म निगोद वर्गणाका प्रमाण कथन४९२ सान्तर समय में उपक्रमण कालका स्वरूप उत्कृष्ट सूक्ष्म निगोदवर्गणाका प्रमाण निर्देश ४७४
४९३ निरन्तर समयमें उपक्रमण कालका स्वरूप उत्कृष्ट बादर निगोद वर्गणाकाप्रमाणकथन ४९३ निर्देश
४७४ | निगोदवर्गणाओंके कारणका निर्देश ४९४ सान्तर समयमें उपक्रमणकाल विशेषका महास्कन्धके स्थानोंका निर्देश व उनका स्वरूप निर्देश ४७५ स्वरूप कथन
४९४ उपक्रमणकालविशेषका स्वरूप निर्देश | महास्कन्ध वर्गणाका जघन्य व उत्कृष्ट भाव । सान्तर उपक्रमण जघन्य कालका स्वरूप |किस अवस्थामें होता है इस बातका निर्देश ४९५ निर्देश
४७६ मरणयवमध्य और शमिलायवमध्य आदिका उत्कृष्ट सान्तर उपक्रमणकालका स्वरूप कथन करने के लिए संदृष्टि निर्देश
सब जीवोंमें महादण्डकका निर्देश सान्तर उपक्रमणकालका स्वरूप निर्देश ४७७ क्षुल्लकभवके तीन भाग
५०१ सान्तर उपक्रमणकालविशेषका स्वरूप
प्रथम विभागका विचार
५०१ निर्देश
४७७ आधारके तीन प्रकार निरन्तर उपक्रमणकाल विशेषका स्वरूप प्रकारान्तरसे प्रथम विभागका विचार निर्देश
| मध्यम त्रिभागका विचार
५०२ अपक्रमणकालका स्वरूप निर्देश ४७९ यवमध्यविचार
५०२ प्रबन्धनकालका स्वरूप निर्देश ४८० | शमिला शब्दका अर्थ
५०३ जीवअल्पबहुत्व विचार ४८१ | शमिलामध्यका तात्पर्य
५०३ स्कन्ध आदिके आश्रयसे सब बादर निगोद । सब यवमध्योंकी यवमध्य और शमिलामध्य पर्याप्त होते हैं या मिश्ररूप होते हैं इस | ये दो संज्ञायें हैं इस बातका निर्देश ५०३ बातका निर्देश ४८३ | आसंक्षेपाद्धाका अर्थ
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