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________________ ( २५१ ५, ६, १६७, ७, ) बंधाणुयोगद्दारे सरीरसरीरपरूवणाए दव्वपमाणपरूवणा भागो । बादरेइंदियअपज्जत्त-सुहुमेइं दियपज्जत्तापज्जत्ता विसरीरा तिसरीरा दव्वपमाणेण केवडिया ? अनंता । वणफ दिकाइया णिगोदजीवा बादरा सुहुमा तेसिं पज्जत्तापज्जत्ता बिसरीरा तिसरीरा दव्वपमाणेण केवडिया ? अनंता । पंचिदिया पंचिदियपज्जत्ता तसतसपज्जत्ता पंचिदियतिरिक्खभंगो | जोगाणुवादेण पंचमणजोगि पंचवचिजोगि वेउव्विय-वेउब्विय मिस्सकायजोगिविभंगणाणीसु तिसरीरा चदुसरीरा दव्वपमाणेण केवडिया ? असंखेज्जा । णवरि वे उव्विय- वे उब्वियमिस्सा चदुसरीरा णत्थि । कायजोगि णवुंसयवेद- कोध-माण- मायालोहकसाइ-मदि-सुदअण्णाणि असंजद - अचक्खु दंसणिकिण्ण-णील -- काउलेस्सिय--भवसिद्धिय- अभवसिद्धिय - मिच्छाइट्ठि त्ति ओघं । ओरालियकायजोगीसु तिसरीरा दव्वपमाण केवडिया ? अनंता । चदुसरीरा दव्वपमाणेण केवडिया ? असंखेज्जा । ओरालि मिस्स कायजोगीसु तिसरीरा दव्वपमाणेण केवडिया ? अनंता । आहारआहार मिस्सकायजोगीसु चदुसरीरा दव्वपमाणेण केवडिया ? संखेज्जा । कम्मइयकायजोगीसु बिसरीरा दव्वपमाणेण केवडिया ? अनंता । तिसरीरा दव्वपमाणेण केवडिया ? संखेज्जा । द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? असंख्यात हैं जो पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त, सूक्ष्म एकेन्द्रिय और इनके पर्याप्त व अपर्याप्त दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? अनंत हैं ? वनस्पतिकायिक और निगोद जीव तथा बादर और सूक्ष्म तथा इनके पर्याप्त और अपर्याप्त दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? अनंत है । पंचेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय पर्याप्त, त्रस और पर्याप्त जीवोंका भग्न पंचेन्द्रिय तिर्यच्त्रोंके समान है । योगमार्गणा अनुवादसे पाँचों मनोयोगी, पांचों वचनयोगी, वैक्रियिककाययोगी, वैक्रिfrefमश्रकाययोगी और विभंगज्ञानी जीवोंमें तीन शरीरवाले और चार शरीरवाले द्रव्यप्रमाण की अपेक्षा कितने हैं ? असंख्यात हैं । इतनी विशेषता है कि वैक्रियिककाययोगी और वैक्रियिकमिश्र काययोगी जीव चार शरीरवाले नहीं होते । काययोगी, नपुंसकवेदवाले, क्रोधकषायवाले, मानकषायवाले, मायाकषायवाले, लोभकषायवाले, मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, असंयत, अचक्षुदर्शनी, कृष्णलेश्यावाले, नीललेश्यावाले, कागेतलेश्यावाले भव्य, अभव्य और मिथ्यादृष्टि जीवोंका भंग ओघ के समान है । औदारिककाययोगी जीवोंमें तीन शरीरवाले द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? अनंत हैं । चार शरीरवाले द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? असंख्यात है । औदारिकमिश्र काययोगी जीवोंमें तीन शरीरवाले द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? अनंत हैं । आहारककाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगी चार शरीरवाले जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? संख्यात हैं | कार्मणकाययोगी जीवोंमें दो शरीरवाले जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? अनंत हैं। तीन शरीरवाले जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? संख्यात हैं । विशेषार्थं - यहां काययोगी आदि जितनी मार्गणाओं में ओघके समान भंग कहा है सो ये सब मार्गणाऐं अनंत संख्यावाली हैं । अतः इनमें ओघके समान दो शरीरवाले, तीन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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