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________________ ( १४ ) १४० १४७ १४७ १४८ विषय पृष्ठ विषय पृष्ठ चौदह अनुयोगद्वारोंमेंसे दो का ही कथन नानाश्रेणिवर्गणाअल्पबहुत्वानुगम क्यों किया इसका सयुक्तिक उत्तर १३४ अनन्तरोपनिधाके दो भेद १७९ एकश्रेणि ध्रुवाश्र्वानुगम अनुयोगद्वारके द्रव्यार्थतारूप अनन्तरोपनिधाका विचार १७९ आश्रयसे विचार परम्परोपनिधाके दो भेद १८२ इसी प्रकार नानाश्रेणि ध्रुवाध्रुवानुगमके द्रव्यार्थतारूप परम्परोपनिधाका विचार १८२ जाननेकी सूचना इसी प्रसंगसे प्ररूपणा आदि तीन अनुयोगएकश्रेणि सान्तरनिरन्तरानुगमके आश्रयसे । द्वारोंके आश्रयसे विचार १८२ सब वर्गणाओंका विचार प्रदेशार्थतारूप अनन्तरोपनिधाका विचार १८३ इसी प्रकार नानाश्रेणि सान्त रनिरन्तरानुगमके अनन्तरोपनिधामें द्रव्यार्थताकी संदृष्टि १८४ जाननेकी सूचना अनन्तरोपनिधामें प्रदेशार्थताकी संदृष्टि १८४ प्रदेशोंका आश्रय लेकर यवमध्य एकश्रेणिओजयुग्मानुगमके आश्रयसे सब परम्परोपनिधाका विचार वर्गणाओंका विचार १८८ नानाश्रेणिओजयुग्मानुगमके आश्रयसे सब इसी प्रसंगसे प्ररूपणा आदि तीन अनुयोगवर्गणाओंका विचार द्वारोंके आश्रयसे विचार १८९ अवहारके दो भेद एकश्रेणिक्षेत्रानुगम १९० द्रव्यार्थताकी अपेक्षा अवहारका विचार १९० नानाश्रेणिक्षेत्रानुगम १४९ प्रदेशार्थताकी अपेक्षा अवहारका विचार १९२ एक श्रेणिस्पर्शनानुगम १४९ यवमध्यप्ररूपणाके दो भेद २०१ इसी प्रकार नानाश्रेणि स्पर्शनानुगमके जानने की द्रव्यार्थताकी अपेक्षा विचार २०१ सूचनाके साथ विशेष निर्देश १५० श्रेणिप्ररूपणाके दो भेद २०२ एकश्रेणिकालानुगम अनन्तरोपनिधाके आश्रयसे विचार २०२ इसी प्रकार नानाश्रेणि कालानगम जानने की परम्परोपनिधाके आश्रयसे विचार २०४ सूचनाके साथ विशेष निर्देश १५० | इसी प्रसंगसे प्ररूपणा आदि तीन अनयोगएकश्रेणिअन्त रानुगम १५१ द्वारोंके आश्रयसे विचार २०४ इसीप्रकार नानाश्रेणिअन्त रानगम जानने की उत्कृष्ट प्रत्येकशरीरवर्गणाका भागहार २०६ सूचनाके साथ विशेष निर्देश १५२ भागाभाग २०६ एकश्रेणिवर्गणाभावानगम १५२ । अल्पबहत्व २०६ इसी प्रकार नानाश्रेणिवर्गणा भावानुगमके प्रदेशार्थताकी अपेक्षा यवमध्यविचार जानने की सूचना पदमीमांसा २०७ एकश्रेणि नानाश्रेणिवर्गणाउपनयनानुगमके अल्पबहुत्वके तीन भेद २०८ आश्रयसे मतान्तरका निर्देश ब उसका नानाश्रेणिद्रव्यार्थता अल्पबहुत्वका निर्देश २०८ परिहार १५३ नानाश्रेणिप्रदेशार्थता अल्पबहत्वका निर्देश २१२ एकश्रेणिवर्गणापरिमाणानुगम एकश्रेणि-नानाश्रेणि प्रदेशार्थता अल्पनानाश्रणिवर्गणापरिमाणानुगम बहुत्वका निर्देश २१५ एकश्रेणिवर्गणाभागाभागानुगम बाह्यवर्गणा विचार नानाश्रेणिवर्गणाभागाभागानुगम | बाह्यवर्गणाकी अन्य प्ररूपणाका प्रारम्भ २२३ एकश्रेणिवर्गणाअल्पबहुत्वानुगम १६३ । बाह्यवर्गणाके विषयमें विशेष ऊहापोह २२३ द Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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