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________________ २२० ) छवखंडागमे वग्गणा - खंड (५, ६, ११६ गुणहाणिपदेसग्गेण समाणत्तुवलंभादो । ण च हेट्ठिमअद्धाणस्सुवरि एगदोगुणहाणीयो पक्खित्ते गुणगारो सव्वजीवेहि अनंतगुणो, गुणहाणिणा गुणिदे वि तदणंतगणत्ताभावादो | तेण सिद्धं गुणगारो * अभवसिद्धिएहि अनंतगुणो सिद्धाणमणंतिमभागोत्ति। कम्मइयवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अनंतगु 1 को गुण० ? स्वाहियधुववधादो हेट्ठिमसमयलद्धाणेणोवट्टिदकम्मइयदव्वदृद अण्णोष्णन्भत्थरासी । कम्मइयवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा अनंतगुणा । को गुण ० ? अभवसिद्धिएहि अनंतगुण सिद्धाणमणंतिमभागमेत्तकम्मइयवग्गणाए हेट्ठिमअद्धाणं ख्वाहियं । कम्मइयवग्गणादो हेट्टिमअगहणवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अनंतगुणा । को गुण ० ? कम्मइयवग्गणरूवा हियहेट्ठिमद्वाणेोवट्टिदकम्मइयहेट्ठिमअगहणवग्गणाए अण्णोष्णन्भत्थरासी गुणगारो । तासु चेव पदेसग्गमणंतगुणं । कोण गुण ०? अगहणवग्गणाए हेट्ठिमअद्वाणं ख्वाहियं । तदो मणवगणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अनंतगुणा । को गुण ०? अगहणवग्गणाए हेट्ठिमसयलद्धाणेण ख्वाहिएणोवट्टिदमणदव्ववग्गणाए अण्णोण्णब्भत्थरासी । मणदव्ववग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा अनंतगुणा को गुण० ? मणदव्ववग्गणाए हेट्टिमसयलद्वाणं वाहियं । मणस्स हेड्डिमअगहणवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा अनंतगुणा । को गुण ० ? मिसद्धाणेणोवट्टिदअगहण वग्गणअण्णोण्णब्भत्थरासो गुणगारो । मणस्स द्वितीय गुणहानिका सब प्रदेशाग्र प्रथम गुणहानि के प्रदेशाग्र के समान पाया जाता है यदि कहा जाय कि अधस्तन अध्वानके ऊपर एक दो गुणहानियोंको प्रक्षिप्त करनेपर गुणकार सब जीवोंसे अनन्तगुणा पाया जावेगा सो भी कहना ठीक नहीं है, क्योंकि, गुणहानिसे गुणित करने पर भी उसके अनन्तगुणे होने का अभाव है, इसलिय गुणकार अभव्योंसे अनन्तगुणा और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण है यह सिद्ध होता है । कार्मणवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? एक अधिक ध्रुवस्कन्ध के नीचे के सकल अध्वानसे भाजित कार्मणद्रव्यार्थताकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । कार्मणवर्गणाओं में नानाश्रेणि सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या है ? अभव्योंसे अनन्तगुणे और सिद्धों के अनन्तवें भागप्रमाण कार्मणवर्गणाका एक अधिक अधस्तन अध्वान गुणकार है। कार्मणवर्गणासे अधस्तन अग्रहण वर्गणाओं में नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? कार्मणवगंणाके एक अधिक अधस्तन स्थानसे भाजित कार्मणवर्गणासे अधस्तन अग्रहणवर्गणाकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । उन्हीं में प्रदेशाग्र अनन्तगुणा है । गुणकार क्या है ? अग्रहणवर्गणाका एक अधिक अधस्तन अध्वान गुणकार है । उससे मनोवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? अग्रहणवर्गणा के एक अधिक अधस्तन सकल अध्वानसे भाजित मनोद्रव्यवगंणाकी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। मनोद्रव्यवर्गणाओं में नानाश्रेणि सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? मनोद्रव्यवर्गणाका एक अधिक सकल अध्वान गुणकार है । मनोवर्गणासे अधस्तन अग्रहणवर्गणाओं म नानाश्रेणि सब द्रव्य अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? मनोवर्गणा के अधस्तन सकल अध्वानसे * ता०प्रतौ 'सिद्धो गुणगारो' इति पाठः । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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