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________________ पृष्ठ २२ २ GG का Y विषय-सूची विषय पृष्ठ | विषय मंगलाचरण विचार १८ बन्धनके चार भेद व उनके नाम अजीवभावबन्धके तीन भेद व उनका बन्ध, बन्धक, बन्धनीय और बन्धविधान स्वरूप निर्देश शब्दोंकी निरुक्ति १ | विपाकप्रत्ययिक अजीवभावबन्धका विचार २३ बन्ध आदि शब्दोंका लक्षण अविपाकप्रत्ययिक अजीवभावबन्धका बन्ध अनुयोगद्वार विचार २४ बन्धके चार भेद | तदुभयप्रत्ययिक अजीवभावबंधका विचार नामबन्ध आदिमें से किसको कौन नय द्रव्यबंधके दो भेद स्वीकार करता है इसका विचार आगमद्रव्यबंधका विशेष विचार नामबन्धका विचार ४ नोआगम द्रव्यबंधके दो भेद स्थापनाबन्धका विचार | विस्रसाबंधके दो भेद काष्ठकर्म आदिकी व्याख्या | अनादिविस्रसाबंधके तीन भेद व उनका भावबन्धके दो भेद ७ | विशेष ऊहापोह आगम भावबन्ध का विचार सादिविस्रसाबंधका विशेष विचार आगमके नौ भेद और उनके लक्षण | भंदके कारणका निर्देश उपयोगके आठ भेद और उनके लक्षण कौन पुद्गल नहीं बँधते और कोन पुद्गल नोआगम भावबन्धके दो भेद । बँधते हैं इस बातका विचार जीवभावबन्धके तीन भेद व उनके लक्षण कितनी मात्रा हीन व अधिक होने पर । विपाकप्रत्ययिक जीवभावबन्धका विचार १० बंध होता है इस बात का विशेष विचार अविपाकप्रत्ययिक जीवभावबन्धके दो भेद १२ | विषम और सम शब्दके अर्थ जीवत्व आदि तीनका अविपाक प्रत्ययिक जघन्य गुणवाले पुद्गल नहीं बँधते इस जीवभावके भेदोंमें न ग्रहण करने के बातका निर्देश कारणका ऊहापोह तत्त्वार्थसूत्र में जीवत्व आदिको पारिणामिक सादिविस्रसाबंध का उदाहरण सहित किस अभिप्रायसे कहा है इस बातका निर्देश भी निर्देश प्रयोगबंधके दो भेद व प्रयोगबंधका असिद्धत्व भावके दो भेद ही भव्यत्व और लक्षण ३६ नोकर्म बंधके पांच भेद व उनका स्वरूप अभव्यत्व औपशमिक अविपाकप्रत्ययिक जीवभाव | निर्देश बन्धका बिचार १४ | आलापनबंधका उदाहरणसहित निर्देश क्षायिक अविपाकप्रत्ययिक जीवभावबन्धका- | अल्लीवणबंध का उदाहरणसहित निर्देश ३९ विचार १५ | संश्लेषबंधका उदाहरण सहित निर्देश तदुभयअविपाकप्रत्ययिक जीवभावबन्धका शरीरबंधके पाँच भेद MY im N My or m " Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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