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________________ ५, ६, ११६) बंधणाणुयोगद्दारे अप्पाबहुअपरूवणा ( २१५ णाणासेडिसन्वपदेसा अणंतगुणा। को गुण ? सगअण्णोण्णब्भत्थरासी । तेजावग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा अणंतगुणा । को गुण. ? सगअण्णोण्णब्भत्थरासी । तेजइयादो हेटिमअगहणवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा अणंतगुणा । को गुण ? सगअण्णोण्णब्भत्थरासी । आहारवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा अणंतगुणा । को गुण० ? सगअण्णोण्णभत्थरासी । आहारवग्गणादो हेटिमअणंतपदेसियवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा अणंतगुणा । को गुण? सगअण्णोण्णब्भत्थरासी । परमाणुवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा अणंतगुणा। सुगमं । संखेज्जपदेसियवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा असंखेज्जगुणा । असंखेज्जपदेसियवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा असंखेज्जगुणा । एवं णाणासेडिसव्वपदेसदप्पाबहुअ ससत्तं । एगसेडि·णाणासेडिदव्वटु-पदेसट्टदप्पाबहुअं उच्चदे । तं जहा- दवट्ठदाए एगसेडिपरमाणुवग्गणा णाणासेडिमहाखंधवग्गणा च दो वि तुल्लाओ थोवाओ। कुदो? एगसंखत्तादो । संखेज्जपदेसियवग्गणासु एगसेडिवग्गणाओ संखेज्जगुणाओ । को गुण०? रूवणुक्कस्ससंखेज्जयं । बादरणिगोदवग्गणासु णाणासे डिसव्वदव्वा असंखेज्जगुणा । को गुण? असंखेज्जा लोगा । सुहमणिगोदवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा असंखेज्जगुणा । को गुण? असंखेज्जा लोगा। पत्तेयसरीरवग्गणासु णाणासेडिसव्वदव्वा असंखज्जगुणा । को गुणगारो ? असंखेज्जा लोगा । असंखेज्जपदेसियवग्गणासु है । भाषावर्गणासे अधस्तन अग्रहणवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? अपनी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। तेजसवर्गणाओंमें नानाधेणि सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है? अपनी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है। तेजसवर्गणासे अधस्तन अग्रहणवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या है ? अपनी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । आहारवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है ? अपनो अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । आहारवर्गणासे अधस्तन अनन्तप्रदेशी वर्गणाओं में नानाश्रेणि सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं । गुणकार क्या है? अपनी अन्योन्याभ्यस्त राशि गुणकार है । परमाणुवर्गणाओंमें नानाअंणि सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं । कारणका कथन सुगम है। संख्यातप्रदेशी वर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब प्रदेश असंख्यातगुणे हैं । असंख्यातप्रदेशी वर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब प्रदेश असंख्यातगुणे हैं । इस प्रकार नानाश्रेणि सर्व प्रदेशार्थता अल्पवहुत्व समाप्त हुआ। ____ अब एकश्रेणि-नानाश्रेणिद्रव्यार्थता-प्रदेशार्थता अल्पबहुत्वका कथन करते हैं । यथाद्रव्यार्थताकी अपेक्षा एकश्रेणि परमाणुवर्गणा और नानाश्रेणि महास्कन्ध वर्गणा दोनों ही तुल्य हो कर सवसे स्ताक हैं, क्योंकि, ये एक संख्याप्रमाण हैं। संख्यातप्रदेशी वर्गणाओं में एकश्रेणिवर्गणायें संख्यातगुणी हैं । गुणकार क्या है? एक कम उत्कृष्ट संख्यात प्रमाण गुणकार है। बादर निगोदवर्गणाओंमें नानाणि सब द्रव्य असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है । सूक्ष्मनिगोदवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? असंख्यात लोकप्रमाण गुणकार है। प्रत्येकशरोरवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य असंख्यातगुणं है । गुणकार क्या है ? असंख्यात लोकप्रमाण गुणकार है। असंख्यातप्रदेशी वर्गणाओंम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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