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________________ १७८ ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं ( ५, ६, ११६ अणंतपदेसियदव्ववग्गणाए ओवदिदाए दिवगणहाणिणोवट्टियअण्णोण्णभत्थरासी आगच्छदि । एदेण अणंतपदेसियअप्पिदवग्गणासु गणिदासु परमाणुपोग्गलदव्ववग्गणा होदि। संखेज्जपदेसियसम्बवग्गणासु णाणासेडिसम्बदन्या संखेज्जगुणा । को गुणगारो? उक्कस्ससंखेज्जयं दूरूवूणं । पुणो एगरूवस्स असंखेज्जभागा च गुणगारो होदि । तं जहा-परमाणुपोग्गलदव्ववग्गणाए उक्कस्ससंखेज्जण गणिदाए एगपरमाणुपोग्गलदव्ववग्गणाए तिस्से असंखेज्जवि भागेण च अहियं संखेंज्जपदेसियवग्गणाओ होति । पुणो गुणगारम्मि एगरूवे अवणिदे रूवणुक्कस्ससंखेजमेताओ परमाणुपोग्गलदव्ववग्गणाओ होति । पुणो रूवणुक्कस्ससंखेज्जयस्स संकलणाए अवणिदाए अहियगोवुच्छविसेसा होति । संपहि दोगुणहाणिमेतगोवुच्छविसेसेसु जदि एगपरमाणवग्गणा लब्भदि तो रूवूणुक्कस्ससंखेज्जयस्स संकलणमेत्तगोवच्छविसेसेसु कि लभामो ति पमाणेण फलगुणि दिच्छाए ओवट्टिदाए परमाणुवग्गणाए असंखेज्जदिभागो आगच्छदि । पुणो एदं रूवणुकस्सखेज्जमेत्तगुणगारम्मि अवणियसेसं परमाणवग्गणाए गुणगारे टुविद संखेज्जपदेसियसव्ववग्गणाओ होति । परमाणुवग्गणाए एदासु ओट्टिदासु एकरुवस्स असं-- खेज्जदिभागेणणयं रूणणक्कस्ससंखेज्जयं लद्धं होदि। एदमेत्थ गुणगारो। असंखेज्जपदेसियणाणासे डिसव्ववग्गणदव्वमसंखेज्जगुणं । को गुणगारो? एगरूवस्स असंखेज्जदिमागणणउकस्ससंखेज्जेहि परिहोणदिवडगुणहाणोणं संखेज्जदिभागोको पडिभागो? वर्गणा होती है। पुनः इससे अनन्तप्रदेशी द्रव्य वर्गणाके भाजित करनेपर डेढ गुणहानिसे भाजित अन्योन्याभ्यस्तराशि आती है। इससे अनन्तप्रदेशी विवक्षित वर्गणाओंके गुणित करने पर परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा होती है। संख्यातप्रदेशी सब वर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब द्रव्य संख्यातगणे होते हैं। गणकार क्या है ? दो कम उत्कृष्ट संख्यात गणकार है। पुनः एक रूपके असंख्यात बहुभाग गुणकार है । यथा- परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणाके उत्कृष्ट संख्यातसे गणित करनेपर एक परमाणपुदगलद्रव्यवर्गणा और उसका असंख्यातवां भाग अधिक संख्यातप्रदेशी द्रव्यवर्गणायें होती हैं। पून: गणकारमें से एक अंकके कम करने पर एक कम उत्कृष्ट संख्यातप्रमाण परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणायें होती है। पुन: एक कम उत्कृष्ट संख्यातकी संकलनाके घटा देने पर अधिक गोपुच्छविशेष होते हैं। अब दो गुणहानिमात्र गोपुच्छविशेषोंम यदि एक परमाणुवर्गणा लब्ध होती है तो एक कम उत्कृष्ट संख्यातके संकलनमात्र गोपुच्छविशेषों में क्या प्राप्त होगा इस प्रकार फलगणित इच्छाको प्रमाणसे भाजित करने पर परमाणुवर्गणाका असंख्यातवां भाग आता है। पुन: इसके एक कम उत्कृष्ट संख्यातप्रमाण गुणकारमें से घटाकर शेष रहे द्रव्यको परमाणुवर्गणाका गुणकार स्थापित करने पर सख्यातप्रदेशी सब वर्गणायें होती हैं। परमाणुवर्गणासे इनके भाजित करने पर एकका असंख्यातवां भाग कम एक कम उत्कृष्ट संख्यात लब्ध होता है । यह यहां पर गुणकार है । असंख्यातप्रदेशी नानाश्रेणि सब वर्गणाद्रव्य असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? एकका असंख्यातवां भाग कम उत्कृष्ट संख्यात हीन डेढ गुणहानियोंका संख्यातवां भाग गुणकार है। प्रतिभाग क्या है ? एकका है मुदितप्रती · संखेज्जदिभागो व ' इति पाठः 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001813
Book TitleShatkhandagama Pustak 14
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1994
Total Pages634
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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