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________________ ५, ३, १२.) फासाणुओगद्दारे दव्वफा सो फासो। ३८। धम्माधम्मागासदव्वाणमथि फासो। ३९ । धम्मकालागासदव्वाणमथि फासो। ४०। अधम्मकालागासदव्वाणमस्थि फासो। ४१। जीव-पोग्गल-धम्माधम्मदव्वाणमस्थि फासो ।४२। जीवपोग्गलधम्मकालदव्वाणमत्थि फासो। ४३ । जीवपोग्गलधम्मागासदव्वाणमत्थि फासो । ४४ । जीवपोग्गलअधम्मकालदवाणमत्यि फासो ।४५। जीवपोग्गलधम्मागासदव्वाणमत्थि फासो । ४६। जीवपोग्गलकालागासदव्वाणमत्यि फासो। ४७। जीवधम्माधम्मकालदव्वाणमत्थि फासो । ४८। जीवधम्भाधम्मागासदव्वाणमत्थि फासो। ४९ । जीवधम्मकालागासदव्वागमत्थि फासो। ५० । जीव अधम्मकालागासदव्वाणमत्थि फासो । ५१ । पोग्गलधम्माधम्मकालदव्वाणमत्थि फासो ।५२। पोग्गलधम्माधम्मागासदव्वाणमत्थि फासो । ५३। पोग्गलधम्मकालागासदव्वाणमत्थि फासो। ५४ । पोग्गलअधम्मकालागासदव्वाणमत्थि फासो । ५५ । धम्माधम्मकालागासदवाणमत्थि फासो । ५६। जीवपोग्गलधम्माधम्मकालदवाणमत्यि फासो । ५७ । जीवपोग्गलधम्माधम्मआगासदवाणमत्थि फासो।५८। जीव-पोग्गल-धम्म-कालागासदव्वाणमत्थि फातो । ५९। जीवपोग्गलअधम्मकालागासदबागमत्थि फासो । ६० । जीवधम्माधम्मकालागासव्वाणमत्यि फासो । ६१। पोग्गलधम्माधम्मकालागासदव्वाणमत्थि फासो। ६२। जीवपोग्गलधम्माधम्मकालागासदव्वाणमत्थि फासो।।३। एवं तेस ट्ठिदवफासवियप्पा सकारणा वत्तव्वा । एत्थुव उज्जती गाहा धर्म, अधर्म और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ३९ । धर्म, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ४० । अधर्म, काल और आकाश द्रव्यका पर्श हैं । ४१। जीव, पुद्गल, धर्म और अधर्म द्रव्यका स्पर्श है । ४२ । जीव, पुद्गल, धर्म और काल द्रव्यका स्पर्श है । ४३ । जीव, पुद्गल, धर्म और आकाश द्रव्यका स्पश है । ४४ । जीव, पुद्गल, अधर्म और काल द्रव्यका स्पर्श है । ४५। जीव, पुद्गल, अधर्म और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ४६ । जीव, पुद्गल, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ४७ । जीव, धर्म, अधर्म और काल द्रव्यका स्पर्श है । ४८ । जीव, धर्म, अधर्म और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ४९ । जीव, धर्म, काल और आकाश द्रव्य का स्पर्श है । ५० । जीव, अधर्म, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ५५ । पुद्गल, धर्म, अधर्म और काल द्रव्यका स्पर्श है । ५२ । पुद्गल, धर्म, अधर्म और आकाश द्रव्यका स्पर्श है। ५३ । पुद्गल धर्म, काल और आकाश द्रव्य का स्पर्श है । ५४ । पुद्गल, अधर्म, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ५५ । धर्म, अधर्म, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श हैं । ५६ जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और काल द्रव्यका स्पर्श है। ५७ । जोव, पुद्गल, धर्म, अधर्म और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ५८ जीव, पुद्गल, धर्म, काल और आकाश द्रव्य का स्पर्श है । ५९ । जोव, पुद्गल, अधर्म, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श है। ६० । जीव, धर्म, अधर्म, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ६१ । पुद्गल, धर्म, अधर्म, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ६२ । जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, काल और आकाश द्रव्यका स्पर्श है । ६३ । इस प्रकार द्रव्यस्पर्शके वेसठ विकल्प सकारण कहने चाहिये । यहां उपयोगी पडनेवाली गाथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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