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५, ५, ५९.) पडिअणुओगद्दारे ओहिणाणस्स दव्व-खेत्तादिपरूवणा ( ३११ कालेहितो इमस्त खेत्त-काला असंखेज्जगणा। तेजइयसरीरणोकम्मसंचयादो कम्मइयसरीरसंचओ अणंतगणो, तदो खेत-कालाणमसंखेज्जगुणत्तं ण जुज्जदि? एस दोसो, पदेसं पडि अणंतगुणत्ते संते वि तेजइयक्ख?हंतो कम्मइयक्खंधाणमइसुहुमत्तेण तदसंखेज्जगुणतं पडि विरोहाभावादो। ण च गेज्झत्तं परमाणुपच्चय महल्लत्तमुवेक्खदे, चक्खिदियगेज्झभेंड-रज्जगिर*कणादो बहुपरमाणुहि आरद्धपवणम्मि तदणवलंभादो। तेजइयओगाहणादो कम्मइयओगाहणा एगजीवदवाविणाभावेण सरिसा ति ण दोण्णमोहिगेज्झगुणाणं सरितं वोत्तुं जुत्तं, समाणोगाहणाए टिदओरालिय-कम्मइयसरूवेहि दुद्ध-पाणियरूवेहि वा वियहिचारादो। तेजइयदव्वं णाम तेजइयवग्गणा एगा विस्ससोवचयविरहिदा । तिस्से गाहगं जमोहिणाणं तस्स ओहिणिबद्धखेत्तस्स पमाणमसंखेज्जा दीव-समुद्दा, कालो असंखेज्जाणि वस्साणि । णवरि कम्मइयसरीरखेत्त-कालेहितो इमस्स खेत्त-काला असंखेज्जगणा । कुदो? कम्मइयसरीरकम्मपुंजादो तेजइयएगवग्गणाए पदेसाणमणंतगुणहीणत्तवलंभादो तत्तो सुहुमत्तादो वा। तेजादध्वमिदि वुत्ते तदेगसमयपबद्धस्स गहणं किण्ण कीरदे? ण, दव्वसहस्स रूढिवसेण वग्गणासु चेव उवरि
और कालसे इसका क्षेत्र और काल असंख्यातगुणा होता है।
शंका-- तैजसशरीर नोकर्म के संचयसे कार्मणशरीरका संचय अनन्तगुणा होता है, इसलिए क्षेत्र और काल असंख्यातगुणे नहीं बनते ?
समाधान-- यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, प्रदेशोंकी अपेक्षा अनन्तगुणे होनेपर भी तैजस स्कन्धोंसे कार्मण स्कन्ध अति सूक्ष्म होते हैं, इसलिए इसके क्षेत्र और कालके असंख्यातगुणे होने में कोई विरोध नहीं आता। दूसरे, ग्राह्यता ( ग्रहणयोग्यता ) परमाणुप्रचयके विस्तारकी अपेक्षा नहीं करती है, क्योंकि, चक्षुके द्वारा ग्रहण किये जाने योग्य भिण्डी और रजगिराके कणोंकी अपेक्षा बहुत परमाणुओंके द्वारा निर्मित पवन में वह (ग्राह्यता) नहीं पायी जाती (?)। चंकि तैजसशरीरकी अवगाहनासे कार्मगशरीरकी अवगाहना एक जीव द्रव्य सम्बन्धी होनेसे समान होती है, इसलिए अवधिज्ञानके द्वारा ग्राह्य गण (ग्रहणयोग्यता) भी दोनोंके सदश ऐसा कहना भी युक्त नहीं है; क्योंकि, समान अवगाहनारूपसे स्थित औदारिकशरीर और कार्मणशरीरके साथ तथा दूध और पानीके साथ इस कथनका व्यभिचार आता है ।
तैजस द्रव्यका अर्थ विस्रसोपचयसे रहित एक तैजस वर्गणा है । उसे जो अवधिज्ञान ग्रहण करता है, उस अवधिज्ञानसे सम्बन्ध रखनेवाले क्षेत्रका प्रमाण असंख्यात द्वीप-समुद्र होता है और काल असंख्यात वर्ष होता है ! इतनी विशेषता है कि कार्मणशरीरके क्षेत्र और कालसे इसका क्षेत्र और काल असंख्यातगुणा होता है, क्योंकि, कार्मणशरीरके कर्म-पुञ्जसे तैजसकी एक वर्गणाके प्रदेश अनन्तगुणे हीन उपलब्ध होते हैं या उससे सूक्ष्म होते हैं ।
शंका-- 'तेजस द्रव्य' ऐसा कहनेपर उसका एक समयप्रबद्ध क्यों नहीं ग्रहण किया जाता है ?
अ-आ-काप्रतिषु 'गेझंतं परमाणुपचय', ताप्रती गेज्झत्तं परमाणपच्चय-' इति पाठः । * प्रतिषु 'भेंडरंडगिर-' इति पाठः । ४ प्रतिषु 'पवयणम्मि' इति पाठः ।
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