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________________ ५, ५, ४६. । पडिअणुओगद्दारे अक्खरपमाणपरूवणा ( २५३ तिसंजोगेण पंचममक्खरं ५ । पुणो पढम-तदिय-चउत्थअक्खराणं तिसंजोगेण छट्ठमक्खरं ६ । पुणो बिदिय-तदिय-चउत्थअक्ख राणं तिसंजोगेण सत्तमक्खरं ७। पुणो पढम. बिदिय-तदिय-चउत्थअक्खराणं चदुसंजोगेण अट्ठमक्खरं ८ । एवं चउत्थअक्खरस्स अट्ठ भंगा। संपहि पुग्विल्लभंगेहि सह चउत्थअक्खरस्स भंगेसु आणिज्जमाणेसु चत्तारि रूवाणि विरलिय दुगुणिय अण्णोण्णभत्थे कदे भंगा सोलस हवंति । पुणो रूवर्ण कदे चदुण्णमक्खराणमेमसंजोग-दुसंजोग-तिसंजोग-चदुसंजोगअक्खरभंगा पण्णारस होति १५ । एत्थ एदेसिमुच्चारणक्कमो वुच्चदे। तं जहा- अयारस्स एगसंजोगेण एगमक्खरं १ । आयारस्स वि एगसंजोगेण बिदियमक्खरं २ । आ३यारस्स वि एगसंजोगेण तदियमक्खरं ३ । इगारस्स एगसंजोगेण चउस्थलमक्खरं ४ । पुणो अयार-आयाराण दुसंजोगेण पंचममक्खरं ५ । पुणो अयार-आयाराणं दुसंजोगेण छट्ठमक्खरं ६ । पुणो अयार-इयारणं दुसंजोगेण सत्तममक्खरं ७ । पुणो आयार-आयाराणं दुसंजोगेण अट्ठममक्खरं ८ । पुणो आयार इयाराणं दुसंजोगेण णवममक्खरं उप्पज्जदि ९ । पुणो आ३यार-इयाराणं दुसंजोगेण दसममक्खरं १० । पुणो अयार- आयारआ३याराणं तिसंजोगेण एक्कारसमक्खरं ११ । पुणो अयार आयार-इयाराण और चतुर्थ अक्षरोंके त्रिसंयोगसे छठा अक्षर होता है ६ । पुनः द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ अक्षरोंके त्रिसयोगसे सातवां अक्षर होता है ७ । पुनः प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ अक्षरोंके चतु:संयोगसे आठवां अक्षर होता है ८ । इस प्रकार चौथे अक्षरके आठ भंग होते हैं ८। अब पूर्वोक्त भंगोंके साथ चतुर्थ अक्षरके भंगोंके लानेपर चार अंकोंका विरलन कर और विरलित राशिके प्रत्येक एकको द्विगुणित कर परस्पर गणित करनेपर सोलह भंग होते हैं १६ । पुनः एक कम करनेपर चार अक्षरोंके एकसंयोग, द्विसयोग, त्रिसंयोग और चतुःसंयोग रूप अक्षरोंके भग पन्द्रह होते है। यहां इनके उच्चारणका क्रम कहते हैं । यथा- अकारका एकसंयोगसे एक अथर होता हैं १ । आकारका भी एकसंयोगसे दूसरा अक्षर होता है २। आकार३का भी एकसंयोगसे तीसरा अक्षर होता है ३ । इकारका एक संयोगसे चौथा अक्षर होता है ४। पुनः अकार और आकारके द्विसंयोगसे पांचवां अक्षर होता है ५ । पुनः अकार और आकारके द्विसंयोगसे छठा अक्षर होता है ६ । पुनः अकार और इकारके द्विसंयोगसे सातवां अक्षर होता है ७ । पुन: आकार और आ३कारके द्विसंयोगसे आठवां अक्षर होता है ८ । पुनः आकार और इकारके द्विसंयोगसे नौवां अक्षर उत्पन्न होता है ९। पुनः आकार और इकारके द्विसंयोगसे दसवां अक्षर होता है । पुनः अकार, आकार और आ३कारके त्रिसंयोग ग्यारहवां अक्षर होता है ११ । पुनः अकार, आकार और इकारके त्रिसंयोगसे बारहवां अक्षर होता है १२ । काप्रती · आयारस्स एग-' इति पाठः | 0 काप्रती — इगारस्स वि एगसंजोगेण वि चउत्थ-' ति पाठ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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