________________
५, ४ ३१ )
कमाणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं अंतरपरूवणा
( १७१
अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं तिसमऊणं । तवोकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण पण्णारस रादिदियाणि । एगजीवं पडुच्च जहष्णुक्कस्सेण अंतोमहुत्तं । इरियावथकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण वासपुधत्तं । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण णत्थि अंतरं ।
सम्मामिच्छाइट्ठीणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ । उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो । एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ | उक्कस्सेण अंतोमृहुत्तं तिसमऊणं । सासणसम्माइट्ठीणं एवं चेव । णवरि आधाकम्मस्स अंतरमेगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणाओ छआवलियाओ ।
सणियाणुवादेण सण्णीणं चक्खुदंसणी० भंगो । असण्णीणं मिच्छाइट्ठी ० भंगो। णेव सण्णी णेव असण्णीणं सव्वपदाणं णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । वरि आधाकम्मस्स अंतरमेगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण पुव्वकोडी देसुणा । तं जहा एक्को देवो वा णेरइयो वा खइयसम्माइट्ठी पुण्वकोडाउएसु
अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम अन्तर्मुहूर्त है । तपःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पन्द्रह रात्रि-दिन है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहुर्त है । पथकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्व है । एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम अन्तर्मुहूर्त । सासादनसम्यग्दृष्टियों के इसी प्रकार कहना चाहिये । इतनी विशेषता है कि अध: कर्मका एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम छह आवलि है ।
संज्ञी मार्गणा अनुवादसे संज्ञियोंका भंग चक्षुदर्शनवालोंके समान है । असंज्ञियोंका भंग मिथ्यादृष्टियों के समान है । न संज्ञी न असंज्ञी जीवोंके सब पदोंका नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । इतनी विशेषता है कि अधः कर्मका एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम पूर्वकोटि है । यथा - एक देव या नारी क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव पूर्वकोटिकी आयुवाले मनुष्यों में उत्पन्न हुआ । गर्भसे लेकर आठ
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Jain Education International