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छक्खंडागमे वग्गणा - खंड
( ५, ४, ३१.
१७० ) द्विदिसु देवेसु उववण्णो । तत्तो चुदो समाणो पुणरवि पुन्त्रकोडाउएस मणस्से सु उववण्णो । तदो सव्वजहणंतो महत्तावसेसे खीणकसाओ जादो । तदो सजोगिचरिमसमए पुव्वणिज्जिण ओरालियकम्मेसु बंधमागदेसु आधाकम्मस्स लद्धमंतरं । एवं गन्भादिअट्ठवस्सेहि बेअंतो महुत्तब्भहिएहि उणियाहि दोपुव्वकं डीहि सादिरेयाणि तेत्तीससागरोवमाणि आधाकम्मस्पुक्कस्संतरं । तवोकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीव पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहणेण अंतोमुहुत्तं । उक्कस्सेण तेत्त सं सागरोवमाणि अंतोमुहुतूणपुव्वकोडीए सादिरेयाणि । किरियाकम्मस्स उक्कसंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहष्णुक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ।
वेदगसम्माइट्ठीणं पओअकम्म-समोदाणकम्प - किरियाकस्माणं णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण छावद्विसागरोवमाणि सूनानि तवोकमस्स सम्माई द्विभंगो । उवसमसम्माइट्ठीणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ । उक्कस्सेण सत्तरादिदियाणि । एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । एवं किरियाकम्मस्स । णवरि एगजीवं पडुच्च जहष्णुक्कस्से अंतमत्तं। आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालावो होदि ? णाणाजीवं पड़च्च णत्थि आयुवाले देवों में उत्पन्न हुआ और वहांसे च्युत होकर भी पूर्वकोटिकी आयुवाले मनुष्यों में उत्पन्न हुआ । और वहां सबसे जघन्य अन्तर्मुहूर्त काल शेष रहनेपर क्षीणकषाय हो गया । अनन्तर सयोगी के अन्तिम समय में पूर्व निर्जीर्ण औदारिक कर्मस्कन्धोंके बन्धको प्राप्त होनेपर अधःकर्मका अन्तरकाल उपलब्ध होता है । इस प्रकार अधः कर्मका उत्कृष्ट अन्तरकाल गर्भ से लेकर आठ वर्ष दो अन्तर्मुहूर्त न्यून दो पूर्वकोटि अधिक तेतीस सागर है । तपःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त कम पूर्वकोटि अधिक तेतीस सागर है । क्रियाकर्मका उत्कृष्ट अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवको अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है ।
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वेदसम्यग्दृष्टियों के प्रयोगकर्म, समवधानकर्म और क्रियाकर्मका नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम छ्यासठ सागर है । तपःकर्मके अन्तरकालका विचार सम्यग्दृष्टियोंके समान है । उपशमसम्यग्दृष्टियों के प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना
जीवों की अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल सात रात्रि-दिन है । एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । इसी प्रकार क्रियाकर्मका अन्तरकाल है । इतनी विशेषता है कि एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है । अधः कर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य ताव्रती ' उक्कस्संतरं ( अंतरं ), इति पाठ: ।
अ-आ-काप्रति 'णिज्जिण्गा' इति पाठ: ।
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