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________________ १५२ ) छक्खंडागमे वग्गणा - खंड ( ५, ४, ३१. केवलसमुग्धादेण विणा कधं पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्तद्विदीए घादो जायदे ? ण, द्विदिखंडयधादेण तग्धादुववत्तीदो । एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं। किरियाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ । उक्कस्सेण वासपुधत्तं । एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । एवं कम्मइयकायजोगिस्स । णवरि आधाकम्मस्स णाणाजीवं पडुच्च जहणेण एसओ । उक्कस्सेण वासपुधत्तं । एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । वेउब्वियकायजोगीसु सव्वपदाणं णत्थि अंतरं । वेउव्वियमिस्सकायजोगीसु पओअकम्म-समोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण बारसमुहुत्ताणि । एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । किरियाकम्मस्स अंतरं bafचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण मास - पुधत्तं । एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आहार - आहारमिस्सकायजोगीणं सव्वपदाणं णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ । उक्कस्सेण वासपुधत्तं एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । वेदानुवादेण इत्थवेदाणं पओअकम्म- सभोदाणकम्माणं णाणेगजीव पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतर केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीगं पडुच्च णत्थि अन्तरकाल भी प्राप्त होता । शंका- जिन जीवोंके केवलिसमुद्धात नहीं होता उनके केवलिसमुद्धात हुए बिना पत्य के असंख्यातवें भागप्रमाण स्थितिका घात कैसे होता है ? समाधान- नहीं, क्योंकि, स्थितिकाण्डकघातके द्वारा उक्त स्थितिका घात बन जाता है । उक्त दोनों कर्मोंका एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । क्रियाकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्व है । एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । इसी प्रकार कार्मण काययोगियोंके जानना चाहिये । इतनी विशेषता है कि अधःकर्मका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्ष पृथक्त्व है । एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । वैक्रियिककाययोगियोंके सब पदोंका अन्तरकाल नहीं है । वैक्रियिकमिश्र काययोगियोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल बारह मुहूर्त है । एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । क्रियाकर्मका अन्तरकाल कितना नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल मासपृथक्त्व है । एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । आहारककाययोगी और आहारकमिश्र काययोगी जीवोंके सब पदोंका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्व है । एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । ? वेदमार्गणा अनुवादसे स्त्रीवेदवालोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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