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________________ ५, ४, ३१. ) कम्माणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं अंतरपरूवणा ( १५१ णिज्जिण्णाणमाधाकम्मस्स आदी होदि। तदियसमयप्पहुडि अंतरं होदूण ताव गच्छदि जाव बावीसवस्ससहस्साणं* दुचरिमसमओ त्ति। पुणो चरिमसमए पुग्विल्लक्खंधेसु बंधमागदेसु लद्धमंतरं होदि । एवं तिसमयाहिअंतोमुत्तेण ऊगाणि बावीसवस्ससहस्साणि आधाकम्मस्स उक्कस्संतरं होदि । ओरालियमिस्सकायजोगिस्स पओअकम्म-समोदाणकम्माणं णाणेगजीवं पडुच्च णस्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च पत्थि अंतरं । एगजीनं पड़च्च जहण्णण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणमंतोमुहत्तं । तं जहा- एक्को सव्वट्ठसिद्धिविमाणवासियदेवो उजुगदीए आगंतूण मणुस्सेसु उववण्णो । तत्थ उववादजोगेण जे पढ़मसमए गहिदा णोकम्मक्खंधा तेसि बिदियसमए णिज्जिण्णाणमादी होदि । तो तदियसमयप्पडि अंतरं होदूण पुणो दोहेण अंतोमुत्तेण पज्जत्तयदो होहदि त्ति तस्स चरिमसमए लद्धमतरं । एवं तिसमऊणंतोमहत्तं आधाकम्मक्कस्संतरं होदि । इरियावहतवोकम्माणं अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीनं पडुच्च जहण्णण एगसमओ । उक्कस्सेण वासपुधत्तं । जहा णिन्वुइमुवगमंताणं+ छम्मासमुक्कस्संतरं होदि तहा केवलिसमग्घादं करेंताणं पि छम्मासमेत्तमुक्कस्समंतरं किण्ण जायदे ? ण एस दोसो सव्वेसि णिन्वइमवगमंताणं0 केवलिसमुग्धादाभावादो । गदि अस्थि तो छम्मासमंतरं दि होज्ज । बाईस हजार वर्षके द्विचरम समय तक उनका अन्तर रहता है । पुनः अन्तिम समय में पूर्वोक्त कर्मस्कन्धोंके बन्धको प्राप्त होनेपर अन्तरकाल लब्ध होता है । इस प्रकार अधःकर्मका उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय और अन्तर्मुहुर्त कम बाईस हजार वर्ष होता है। औदारिकमिश्रकाययोगीके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं हैं । अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम अन्तर्महर्त है। यथा-एक सर्वार्थसिद्धिविमानवासी देव ऋजगतिसे आकर मनुष्योंमें उत्पन्न हुआ। वहां उपपाद योगसे प्रथम समयमें जो नोकर्मस्कन्ध ग्रहण किये उनके दूसरे समयमें निर्जीर्ण होनेपर अधःकर्मकी आदि होती है । अनन्तर तीसरे समयसे लेकर अनन्तर होकर पुनः दीर्घ अन्तर्मुहुर्तके द्वारा पर्याप्त होगा, इस प्रकार उसके अन्तिम समयमें अन्तर प्राप्त होता है । इस प्रकार अधःकर्मका उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम अन्तर्मुहूर्त होता है । ईर्यापथकर्म और तपःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्व है। शंका - जिस प्रकार मोक्षको जानेवाले जीवोंका छह महीना उत्कृष्ट अन्तर होता है उसी प्रकार केवलिसमुद्धात करनेवालोंका भी छह महीनाप्रमाण उत्कृष्ट अन्तर क्यों नहीं होता? समाधान - यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, मोक्ष जानेवाले सभी जीवोंके केवलिसमुद्धात नहीं होता । यदि मोक्ष जानेवाले सभी जीवोंके केवलिसमुद्धात होता तो छह मासप्रमाण *प्रतिषु 'सहस्साणि ' इति पाठः। - अ-आ-काप्रतिष ' मुवणमंताणं ' ताप्रती '-मुवगमणंताणं ति पाठ अ-आ-ताप्रतिषु 'णिन्वु इगमणुवमंताणं ' काप्रती 'णिव्व इगमणवगंताणं इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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