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५ , ४ , ३१) कम्माणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं अंतरपरूवणा ( १४७ णाणेगजीवं पडुच्च णथि अंतरं । आधाकम्मरस अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णस्थि अंतरं। एगजीवं पडुच्च जहण्णण एगसमओ। उक्कस्सेण अणंतो कालो तिसमऊणा असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा । बादरवणप्फदिकाइयाणं बादरपुढविभंगो। बादरवणप्फदिकाइयपज्जत्तापज्जत्ताणं बादरपुढविपज्जत्तापज्जत्तभंगो। ( सुहमवणप्फदि. ) सुहुमवणप्फदिपज्जत्तापज्जत्ताणं सुहमपुढवि सुहुमपुढविपज्जत्तापज्जत्ताणं भंगो।
तसकाइयाणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणं अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? जाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णथि अंतरं। एगजीवं पडुच्च जहणण एगसमओ। उक्कस्सेण तिसमऊणाणि बेसागरोवमसहस्साणि पुन्चकोडिपुधत्तेणब्भहियाणि । इरियावहकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि?णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं। एगजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं । कुदो? इरियावहकम्मेणच्छिद उवसंतकसायादो हेट्ठा* ओदरिय अंतरिदूण सव्वजहण्णमतोमहुत्तमच्छिय पुणो उवसंतकसाए जादे संते इरियावहकम्मस्स जहण्णअंतरुवलंभादो। उक्कस्सेण बेसागरोवमसहस्साणि किंचूणपुत्वकोडिपुधत्तेणब्भहियाणि । जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। अध:कमका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल अनन्त काल है जो तीन समय कम असंख्यात पुद्गलपरिवर्तनके बराबर है । बादर वनस्पतिकायिक जीवोंके अन्तरकाल बादर पृथिवीकायिक जीवोंके समान है। बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंके अन्तरकाल बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंके समान है। सूक्ष्म वनस्पतिकायिक, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्त और उन्हींके अपर्याप्त जीवोंके अन्तरकाल सूक्ष्म पृथिवीकायिक, सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त और उन्हीं के अपर्याप्त जीवोंके समान है।
त्रसकायिक जीवोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है? नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर तीन समय कम पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक दो हजार सागर है। ईर्यापथकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल अन्तर्महर्त है, क्योंकि, जो उपशान्तकषाय जीव ईपिथकर्म के साथ रहकर और नीचे उतरकर अन्तर करके सबसे जघन्य अन्तर्मुहूर्त काल तक ठहर कर पुनः उपशान्तकषाय हो जाता है उसके ईर्यापथकर्मका जघन्य अन्तरकाल उपलब्ध होता है। उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक दो हजार सागर है, क्योंकि, अट्ठाईस कर्मोंकी सत्तावाला कोई एक
४ आ-का-ताप्रतिषु सुहमवणप्फदि-इत्येतत्पदं नोपलभ्यते 1 आ-का-ताप्रतिषु 'सुहमपुढवि ' इत्येतत्पदं नोपलभ्यते । अतोऽग्रे ताप्रती (इरियावहकम्मस्स अंतरं केवचिरं०?णाणाजीवं पडुच्च णत्थि णत्थि अंतरं 1 एगजीवं पडुच्च जहण्णण एगसमओ । उक्क० तिसमऊणाणि वेसागरोवमसहस्साणि पुव्वकोडिपुधत्तेणब्भहियाणि ) इत्यधिका पाठः कोष्ठकस्थोऽस्ति। * आ-का-ताप्रतिषु '-कसाए हेट्ठा ' इति पाठः ]
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