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________________ १४६ ) ( ५, ४, ३१. बादरआउ- बादरते उ- बादरवाऊणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीगं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणो अंगुलस्स असंखेज्जदिभागो असंखेज्जाओ ओसपिणि ऊस्सप्पणीओ । तेसि चैव बादरपज्जत्ताणं पओअकम्म-समोदाणकम्माण मंतरं केर्घाचरं कालादो होदि ? णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिर कालादो होदि ? णाणाजीवं पड़च्च णत्थि अंतरं । एगजीगं पड़च्च जहणेण एगसमओ । उवकस्सेण तिसमऊणाणि संखेज्जवस्ससहस्साणि । तेसि चेव बादरेइंदियअपज्जत्ताणं पओअकम्प- समोदाणकम्माणं णाणेगजीवं पड़च्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीगं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणमंतोमुहुतं । सुहुमपुढवि सुहुम आउ सुहुमते उ- सुहुमवाऊणं पुढविभंगो। तेसि चेव सुहुमपज्जतापज्जत्ताणं पओअकम्मसमोदाणकम्माणं णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं। आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणअंतोमृहुत्तं । archदिकाइयाणं पओअकस्म समोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? छक्खंडागमे वग्गणा - खंड अन्तरकाल तीन समय कम असंख्यात लोकप्रमाण है । बादर पृथिवीकायिक, बादर जलकायिक, बादर अग्निकायिक और बादर वायुकायिक जीवोंके प्रयोगकर्म और समवधान कर्मका कितना है ? नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। अधःकर्मका अन्तरकालकितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्यअन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम अंगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण हे जो असंख्यात उत्सर्पिणी और अवसर्पिणियोंके बराबर है । उन्ही बादर पर्याप्तकोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अघः कर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम एक हजार वर्ष है। उन्हीं बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम अन्तर्मुहूर्त है । सूक्ष्म पृथिवीकायिक, सूक्ष्मजलकायिक, सूक्ष्म अग्निकायिक और सूक्ष्म वायुकायिक जीवोंके अन्तरकाल पृथिवीकायिकजीवों के समान है । उन्हीं सूक्ष्म पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंक प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका नाना जीवों और एक जोवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम अन्तर्मुहूर्त है । वनस्पतिकायिक जीवोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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