SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 176
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १४३ ५, ४, ३१ ) कमाणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं अंतरपरूवणा सुहुमेइंदियाणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणं णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजोगं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीव पडुच्च जहण्णंण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणा असंखेज्जा लोगा । सुहुमेइंदियपज्जत्ताणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणं णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीगं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीनं पडुच्च जहणेण एगसमओ । उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं तिसमऊणं । एवं सुहुमेदिय अपज्जत्ताणं पि । इंदियतेइं दिय- चउरिदियाणं तेसि चेव पज्जत्ताणं च पओअकम्म-समोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं4 । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीगं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीगं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ । उक्कस्सेण तिसमऊणाणि संखेज्जाणि वस्ससहस्साणि । बेइदिय- तेइ दिय- चउरिदिय-पंचिदियअपज्जत्ताणं पओअकम्म-समोदाणकम्माणमंत रं केवचिरं कालादो होदि ? णाणेगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणाजीगं पडुच्च णत्थि अंतरं । एगजीवं पडुच्च जहएसओ । उक्कस्सेण तिसमऊणाणि असीदि. सट्ठि -- दाल-चदुवीसअंतोमहत्ताणि । पंचिदियाणं पओअकम्म - सभोदाणकम्माणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? णाणेगजीगं पडुच्च णत्थि अंतरं । आधाकम्मस्स अंतरं केवचिरं समवधानकर्मका नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम असंख्यात लोकप्रमाण है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधः कर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकीं अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जोवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम अन्तर्मुहूर्त है । इसी प्रकार सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकों के भी जानना चाहिये । द्वन्द्रय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवोंके तथा उन्हींके पर्याप्त जीवोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधः कर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम संख्यात हजार वर्ष है । द्वीन्द्रिय अपर्याप्त, त्रीन्द्रिय अपर्याप्त चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त और पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीवों के प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधःकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तरकाल एक समय है और उत्कृष्ट अन्तरकाल तीन समय कम क्रमसे अस्सी, साठ, चालीस और चोबीस अन्तर्मुहूर्त हैं । पंचेन्द्रियोंके प्रयोगकर्म और समवधानकर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है । अधः कर्मका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी ताप्रतौ ' अंतरं..' इति पाठ: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy