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________________ ५, ४, ३१.) कम्माणुओगद्दारे पओअकम्मादीणं फोसणपरूवणा (१०१ वट्टमाणेण खत्तभंगो। गरि किरियाकम्मस्स अदीदेण अट्ट चोदसभागा देसूणा पोसणं । णिरयगदीए णेरइएसु पओअकम्म-समोदाणकम्माणं वट्टमाणेण खेत्तभंगो। अदीदेण मारणंतिय उववादेण छ चोद्दसभागा वा देसणा। किरियाकम्मस्स वट्टमाणेण खेत्तभंगो। अदीदेण वि खेत्तभंगो चेव । एवं सत्तमाए पुढवीए। णवरि किरियाकम्मस्स मारणंतियउववादं णस्थि । पढमाए पुढवीए अदीद-वट्टमाणेण खेत्तभंगो। विदियादि जाव छट्टि त्ति वट्टमाणेण सव्वपदाणं खेत्तभंगो। अदीदेण पओगकम्म-समोदाणकम्माणं मारणंतिय. उववादेहि एक्क-बे तिण्णि-चत्तारि-पंचचोदस*भागा देसूणा । किरियाकम्मस्स अदीद-वट्टमाणेण खेत्तभंगो। तिरिक्खगदीए तिरिक्खेसु पओअकम्म-समोदाणकम्म-आधाकम्माणमदीद-वट्टमाणेण सव्वलोगो। किरियाकम्मस्स वट्टमाणेण खेत्तभंगो। अदीदेण मारणंतियपदस्सचछ चोद्दसभागा देसूणापंचिदियतिरिक्खतिगस्स सवपदाणं वट्टमाणेण लोगस्स असंखेज्जभागो। अदोदेण सव्वलोगोणवरि आधाकम्मस्स अदीद-वट्टमाणेण सव्वलोगो। किरियाकम्मस्स अदीदेण तिरिक्खोघोचिदियतिरिक्खअपज्जत्त०पओगकम्म-समोदाणकम्माणं वट्टमाणेण लोगस्स असंखेज्जविभागो। अदीदेण सव्वलोगो। आधाकम्मस्स अदीदवट्टमाणेण सव्वलोगो। कि क्रियाकर्मका स्पर्शन अतीतकी अपेक्षा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग प्रमाण है। ___ नरकगतिमें नारकियोंमें प्रयोगकर्म और समवदानकर्मका स्पर्शन वर्तमानकी अपेक्षा क्षेत्रके समान है । अतीत काल का आश्रय कर मारणान्तिक और उपपाद पदकी अपेक्षा कुछ कम छह बटे चौदह भागप्रमाण है । क्रियाकर्मका वर्तमान स्पर्शन क्षेत्रके समान है । अतीत स्पर्शन भी क्षेत्रके समान ही है । इसी प्रकार सातवी पृथिवी में जानना चाहिये । इतनी विशेषता है कि यहां क्रियाकर्मका मारणान्तिक और उपपाद पद नहीं होता। पहली पृथिवीमें अतीत और वर्तमानको अपेक्षा क्षेत्रके समान स्पर्शन है। दूसरीसे लेकर छटवीं पृथिवी तक वर्तमानकी अपेक्षा सब पदोंका क्षेत्रके समान स्पर्शन है। तथा अतीतकी अपेक्षा प्रयोगकर्म और समवदानकर्मका मारणान्तिक समुद्धात और उपपाद पदकी दृष्टिसे क्रमश: कुछ कम एक बटे चौदह भाग, कुछ कम दो बटे चौदह भाग, कुछ कम तीन बटे चौदह भाग, कुछ कम चार बटे चौदह भाग और कुछ कम पांच बटे चौदह भाग प्रमाण स्पर्शन है । क्रियाकमका अतीत और वर्तमानकी अपेक्षा स्पर्शन क्षेत्रके समान है। तिर्यंच गति में तिर्यंचों में प्रयोगकर्म, समवदानकर्म और अधःकर्मका अतीत और वर्तमान स्पर्शन सब लोक है। क्रियाकर्म वर्तमान स्पर्शन क्षेत्रके समान है ।मारणान्तिक पदकी अपेक्षा अतीत स्पर्शन कुछ कम छह बटे चौदह भाग प्रमाण है । पंचेन्द्रिय त्रिर्यञ्चत्रिकके सब पदोंका वर्तमान स्पर्शन लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। अतीत स्पर्शनि सब लोक है । इतनी विशेषता है कि अधःकर्मका अतीत और वर्तमान स्पर्शन सब लोक है । क्रियाकर्मका अतीत स्पर्शन सामान्य तिर्यचोंके समान है। पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तके प्रयोगकर्म और समवदानकर्मका वर्तमान स्पर्शन लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं । अतीत स्पर्शन सब लोक है। अधःकर्मका अतीत और वर्तमान स्पर्शन सब लोक है। * अप्रतो 'पोसणं ३२ ' इति पाठ। *ताप्रती 'पंचछचोद्दस ' इति पाठ: 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001812
Book TitleShatkhandagama Pustak 13
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1993
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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