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द्वीप और समुद्रोंका विष्कम्भ श्रादि सूत्र ये हुए पदोंकी सार्थकता जम्बूद्वीपका वर्णन
सात क्षेत्रोंका नाम निर्देश
१७१ ૨૦
प्रथम क्षेत्रका नाम भरत क्यों पड़ा ? १७१ ३८० भरत क्षेत्र कहां है और उसके छह खण्ड कैसे होते हैं ?
विजयार्द्ध अर्थात् रजताद्रिका वर्णन हैमवत आदि क्षेत्र कहां हैं और उनमें क्या-क्या विशेषता है ?
१७२
विदेहक्षेत्र के भेद तथा उनका विशेष वर्णन १७३
मेरु पर्वत कहां है और उसका श्रवगाह
व व्यास श्रादि कितना है इस बात का विशेष विचार रम्यक आदि क्षेत्र कहां हैं और उनमें
क्या विशेषता है ?
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१७०
३८०
१७० ३८०
१७० ३८०
तथा
समुद्राभिमुख गमन गंगा, सिन्धु आदि नदियोंका पद्महृद आदि सरोवरोंसे
उत्पत्तिका
वन
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१७१
३८०
१७१ ३८१
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हिमवान् श्रादि पर्वतों के नाम
हिमवान् श्रादि शब्दों का अर्थ उनकी स्थिति
पर्वतोंका रङ्ग
पर्वतोंकी अन्य विशेषताएँ
पर्वतोंके ऊपर छह सरोवरोंका वर्णन १/४
प्रथम सरोवर के आयाम और विष्कम्भ का वर्णन
१८४
३८४
१८५
३८४
प्रथम सरोवर के श्रवगाहका निर्देश प्रथम सरोबर के बीच के पुष्करका परिमाण १८५ ३८५ अन्य सरोबर व उनके पुष्करों के परि
माणका विवेचन सूत्राये हुए 'तद्विगुणद्वि गुणाः' पदकी सार्थकता सरोवरोंमें रहनेवाली देवियोंके नाम व उनकी अन्य विशेषताएँ चौदह नदियोंके नाम व उनका स्थाननिर्देश
दो-दो नदियोंमें प्रथम नदीका पूर्व समुद्र गमन निरूपण दो-दो नदियोंमें द्वितीय नदीका पश्चिम
[ १३ ]
१८१ ३८२
१८२ ३८३
१८२ ३८३
१८४ ३८४
१८६
३८१
३८२
१८४ ३८४
३८४
१८६
३८२
१८५ ३८५
१८७
१८८७
१८७
१८७ ३८६
३८५
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गंगा, सिन्धु आदि नदियोंकी परिवारनदियोंका वर्णन भरतक्षेत्रका विस्तार विदेह पर्यन्त पर्वतों व क्षेत्रोंका विस्तार
उत्तरके क्षेत्र आदि दक्षिणके क्षेत्र श्रादिके समान हैं
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भरत व ऐरावतमें काल विचार वृद्धि और हास किनका होता है इसका विचार अवसर्पिणी व उत्सर्पिणीका लक्षण कालके छः भेद व उनका परिमाण भूमियाँ अवस्थित हैं
हैमवतक हारिवर्षक और दैवकुरवक मनुष्योंकी श्रायुका वर्णन उक्त मनुष्योंके शरीरकी ऊँचाई व हारका नियम
दक्षिण के क्षेत्रोंमें स्थित मनुष्योंके समान
चार महापातालोंका व अन्य पातालों का वर्णन
जलको धारण करनेवाले नागों का व उनके आवासों का वर्णन गौतम द्वीपका वर्णन
लवण समुद्र कहाँ कितना गहरा है सब समुद्रोंके पानीका स्वाद जलचर जीव किन समुद्रों में हैं आदि घातकीखण्डका वर्णन
३८६ धातकीखण्ड में भरत आदि क्षेत्रों के विष्कम्भ श्रादिका निरूपण ३८६ पुष्करार्ध द्वीपका वर्णन 'च' शब्दकी सार्थकता
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पुष्करार्ध में भरत आदि क्षेत्रोंके विष्कम्भ श्रादिका वर्णन
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१६०
१९०
१९०
उत्तरके क्षेत्रों में स्थितमनुष्य हैं १९२ विदेह क्षेत्रके मनुष्यों की आयु विदेह क्षेत्रके मनुष्योंके शरीरकी ऊँचाई व हारका नियम भरतक्षेत्र के विष्कम्भका प्रकारान्तरसे वर्णन लवण समुद्रका विष्कम्भ व मध्य में जलकी ऊँचाईका परिमाण
१९१
१९१
१९२
१६२
१६१ ३८८
१६१
३८८
१९२ ३८८
१९२ ३८९
३८७
३८८
१९३
३८८
३८८
३८८
१६३
३८६
१९२ ३८९
३८९
१६२ ३८६
३८६
१६६
१६३ ३८६
३८९
३८६
१६४
३६०
१६४ ३६०
१६४ ३६०
१९४ ३६०
१९४ ३६०
१९४ ३९०
१६५३६०
१९६ ३६१
१६६ ३६१
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