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________________ धर्मी जीवन की सफलता जो व्यक्ति माया, कपट रहित है, उसका मन स्फटिक की भांति निर्मल होता है। जो कपटी हों, मन से मलिन हों, उसकी गणना यदि धार्मिक में हो सकती है तो मात्र उसके बाह्य आडम्बरों के आधार पर। परंतु वह विश्वसनीय नहीं हो सकता, लोग कहेंगे उसका मन स्वच्छ नहीं है, उससे सावधान रहना। धार्मिक व्यक्ति का विश्वसनीय होना जरूरी है, ईर्ष्यालु या कपटी नहीं। ईर्ष्यालु व्यक्ति के मन को कोई नहीं जान सकता, तथा वह दूसरों के मन की बात जाने बिना रहता नहीं। धार्मिक व्यक्ति, स्त्री, बालक, वृद्ध चाहें जिसके पास चला जाए, उसके चरित्र, उसकी सरलता और उसके क्रिया कलापों से किसी को किसी प्रकार का भय नहीं सताता, जो मायावी नहीं, वह सच्चा अशठ। ऐसा व्यक्ति ही विश्वसनीय, प्रशंसनीय बन सकता है, दीर्घकाल के लिए। धार्मिक व्यक्ति को भावनाशील होना चाहिए, ऐसी भावना लाने के लिए अंदर की कुटिलता दूर करनी चाहिए, वरना फूल जैसे कोमल भाव, कुंठित हृदय में कैसे टिक सकते हैं। उर्वर जमीन में ही बीज, पानी मिले तो पौधा उग सकता है, वैसे ही हृदय की सरलता रूपी खाद मिलेगी, तभी धर्मभावना टिकी रह सकेगी। दुनिया में चमत्कारों से लोगों को प्रभावित करना आसान है, परंतु जिनका मन एवं हृदय शांत है, ऐसे लोग तो विरले ही होते हैं। जगत में ७५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001809
Book TitleDharma Jivan ka Utkarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChitrabhanu
PublisherDivine Knowledge Society
Publication Year2007
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size11 MB
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