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आदमी बन सकता है, केवल आत्मा को जगाने का पुरूषार्थ करना है। दया और अहिंसा एक सिक्के के दो पहलू है एक विधेयात्मक दूसरा निषेधात्मक । यदि हमें जो कुछ पसंद न हों तो उसे दूसरों के बारे में भी न विचारें, न बोलें, न करें, तो ही विश्व एकता का संवेदनामय और संवादमय संगीत प्रगट होगा ।
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