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कहा कि “वाह कितना सेवाभावी है यह इन्सान" यह कार्य हजारों के लिए प्रेरणादायी बना।
इस इन्सान को महान बनानेवाला कौन? उस फोडे वाले आदमी की सेवा का प्रसंग। ऐसे परोपकार के निमित्त में ही स्व-उपकार निहित है, पड़ोसी के घर की आग बुझाएंगे तो अपना घर भी सलामत रहेगा। दूसरों पर गुलाब जल छिड़केंगे तो सुगंध से सराबोर आप भी होंगे।
परोपकारी लोगों की बात दूसरे लोग फौरन स्वीकार करते हैं, वरना तो बूढा पडापडा चिल्लाता रहता है, “अरे कोई पानी तो पिलाओ।" तब घर वाले कहते हैं, “तुमने कब किसी को पानी पिलाया है ? कि पानी मांग रहे हो।" ऐसी दशा हमारी न हों उसके लिए हमें जागृत रहना है।
यह सच है कि समाज कभी कृतघ्न नहीं बनता, पूरा फूल नहीं तो फूल की पंखुडी वापस करता ही है। बीज बोया है तो फल जरूर मिलेगा।
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