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दशम अध्याय
[१८५
प्रशावली
(१)
घातिया कर्मोमें सबसे पहले किसका क्षय होता है ? क्या केवलज्ञानके बीना भी मोक्ष प्राप्त हो सकता है ? मोक्षका क्या लक्षण है ? "कृत्स्नकर्मविप्रमोक्षो मोक्षः" इस वाक्यमें विप्र शब्दका क्या अर्थ होता है ? मोक्षमें जीवोका आकार कैसा होता है ?
जबकि भव्यत्वभाव पारिणामिक भाव है तब सिद्ध अवस्थामें उसका अभाव क्यों हो जाता हैं? यदि अभव्यत्वका अभाव होता है तो जीवत्वका भी अभाव क्यों नहीं होता ?
(७) मुक्त जीवोमें भेद किस प्रकार होता है ? (८) जीवका ऊर्ध्वगमन क्यों होता है ? उदाहरण सहित बतलाओ। (९) मुक्त जीव सिद्ध लोकसे आगे क्यों नहीं जाते ? (१०) मुक्त जीवोंको मध्य लोकसे मोक्षगमन तक पहुँचनेमें कितना समय
लगता है ?
(११) "जो जीव मोक्षमें रहते है उन्हें मुक्त कहते हैं" यदि मुक्त जीवोंका
यह लक्षण माना जावे तो क्या हानि होगी?
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