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मोक्षशास्त्र सटीक ___ अर्थ- चक्षुर्दर्शनावरण, अचक्षुर्दर्शनावरण, अवधि दर्शनावरण, केवल दर्शनावरण, निद्रा, निद्रानिद्रा, प्रचला, प्रचलाप्रचलाऔर स्त्यानगृद्धि ये नौ दर्शनावरण कर्मके भेद हैं।
चक्षुर्दर्शनावरण- जो कर्म चक्षु इन्द्रियोंसे होनेवाले सामान्य अवलोकनको न होने दे उसे चक्षुर्दर्शनावरण कहते हैं।
अचक्षुर्दर्शनावरण-जिस कर्मके उदयसे चक्षुइन्द्रियको छोड़कर शेष इन्द्रियों तथा मनसे पदार्थका सामान्य अवलोकन न हो सके उसे अचक्षुर्दर्शनावरण कहते हैं।
अवधिदर्शनावरण-जोकर्म अवधिज्ञानसे पहले होनेवाले सामान्य अवलोकनको न होने दे उसे अवधि दर्शनावरण कहते हैं।
केवलदर्शनावरण- जो कर्म केवलज्ञानके साथ होनेवाले सामान्य अवलोकनको न होने दे उसे केवलदर्शनावरण कहते है।
निद्रा- मद, खेद, श्रम आदिको दूर करनेके लिए जो शयन करते है वह निद्रा जिस कर्मके उदयसे हो वह कर्म निद्रा दर्शनावरण है।
निद्रानिद्रा- नींदके बाद फिर फिर नींद आनेको निद्रानिद्रा कहते है। निद्रानिद्राके वशीभूत होकर जीव अपनी आंखोंको नहीं खोल सकता।
प्रचला-बैठे २ नेत्र, शरीर आदिमें विकार करनेवाली, शोक तथा थकावट आदिसे उत्पन्न हुई नींद प्रचला कहलाती है। प्रचलाके वशीभूत हुआ जीव सोता हुआ भी जागता रहता है। 1.छद्मस्थ जीवोंके दर्शन और ज्ञान क्रमसे होते है अर्थात् पहले दर्शन बादमें ज्ञान । परंतु केवली भगवानके दोनों एकसाथ होते है, क्योंकि उनके बाधक कर्मोका एकसाथ क्षय होता है।
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