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परिशिष्ट देवा महिड्डिआ जाव पलिओवमठितिआ हरिवासरम्मगवासेसु मणुआ पगतिभद्दगा गंधावतिमालवंतपरियाएसु वट्टवेअड्डपव्वएसु देवा महिड्डियाणिसढणीलवंतेसु वासहरपव्वएसु देवा महिड्डिया। सव्वाओ उदहिदेवताओ भाणियव्वाओ पउमद्दहाओ तेगिच्छिकेसरिद्दहाओ वासीणीओ देवयाओ महिड्डियाओ तासिं पणिहाय पुव्वविदेहअवरविदेहेसु वासेसु अरहंतचक्कवट्टि-बलदेववासुदेवचारणविज्जाहरा, समणाओ समणीओ, सावगाओ साविगाओ, मणुया पगतिभद्दगा तेसिं पणिहाय लवणे (जाव णे चेव णं एक्कोदगं करेति) सीता सीतोदगासु सलिलासु देवया महिड्डिया, देवकुरु उत्तरकुरु मणुआ पगतिभद्दगा, मंदरे पव्वते देवया महिड्डिया जंबुद्दीवेणं सुदंसणं जंबुदीवाहिवती अणाढए णामा देवे महिड्डिए जाव पलिओवमठितीए परिवसति, तेसि णं पणिहाय लवणसमुद्दे णो उवीलेति, नो उप्पीलेति, नो चेव णं एगोदगं करेति, छ।
तु जोहनइं श्री वीतरागे अरिहंत चक्रवर्ती बलदेव वासुदेव चारण विद्याधर साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका, प्रकृतिभद्रक मनुष्य, गंगा सिन्धु देवी इत्यादिक जे जेणई थानकई जेहना प्रभाव छइ, तेहना प्रभाव कहया, अनइ जेणइ जेणइ पर्वतई शाश्वती प्रतिमा छइं तेणइं-तेणई डुंगरि जे जे देवता बसई छई, तेहना प्रभाव वीतरागे कह्या, पणि प्रतिमा ना प्रभाव न कहिया। अनइ हवड़ां तु लोक प्रतिमाना गाढ़ा घणां प्रभाव कहई छ इं, पणि श्री वीतरागे कोई प्रभाव न कह्या । जु कांई प्रतिमाना प्रभाव हु तउ इहाई प्रभाव कहत । जूओनइ! जो कोई प्रकृतिभद्रक मनुष्य, तेहनु प्रभाव का, तउ प्रतिमानउ प्रभाव स्यइं न कहिउ? डाहु हुइ ते विचारी जोज्यो । एह नवमु बोल। १०. दसमु बोल
हवइ दसमु बोल लिखीइ छइ। तथा श्री सिद्धान्त मांहिं श्री वीतराग देवई साधुनइं श्रावकनइं सम्यग्दृष्टी नई केहिइ प्रतिमा आराध्य न कही। अनइ जि वारई प्रतिमाना थापक कन्हई पूछीइ तिवारई सरिआभिदेवताना आलापा देखाइइ । ते सूरिआभिदेवताई पणि मोक्षनइ खातइ प्रतिमा नथी पूजी, ते अधिका अधिकार लिखीइ छइ। जिहां सूरिआभदेवता इं श्री वीतराग वांद्या तिहां एहवं कहिउं-"एअं मे पेच्चा हिताते सुहाए, खमाए, णिस्सेसाए, आणुंगामित्ताए भविस्सइ।" तु जुओनइं, जिहां वीतराग वांद्या तिहां पेच्चा कहितां परभवे 'हिआए सुहाए' कहिउं। अनइ जिहां प्रतिमा पूजी तिहां "पुव्विं पच्छा' कहिउं, पणि परभवे न कहिउं । सिद्धान्त मांहिं जिहां देवताए अथवा मनुष्यइ श्री वीतराग वांद्या, तिहां 'पेच्चा हियाएं अथवा 'इहभवे परभवे हिआए, कहिउं पणि किह्यांइ “पुट्विं पच्छा हिआए सुहाए" न कहिउं । अनइ जिहां प्रतिमा पूजी तिहां-"पूव्विं पच्छा हिआए सुहाए" कहिउं । पणि किहांइ “पेच्चा" अथवा “परभवे हिआए" न कहिउं । पण ई कारणइ प्रतिमा मोक्षनइ खातइ नथी । जिम भगवतीसूत्र मध्ये बीजे शतके खंदक नइ आलावइ बेहू अधिकार जूआजूआ कह्या छई, ते लिखीइ छइं- “जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छह, उवागच्छिता
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