SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 446
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आचार्य धर्मदासजी की मालव परम्परा ४२७ वि०सं० ६. मुनि श्री जीवनमुनिजी - आप जोधपुर के निवासी थे। आपकी दीक्षा ० १९९६ आश्विन शुक्ला त्रयोदशी को पूज्य श्री हस्तीमलजी के सान्निध्य में हुई । दीक्षा- छेद हो जाने पर वि०सं० २००७ ज्येष्ठ शुक्ला त्रयोदशी को आपकी पुन: दीक्षा हुई। ७. मुनि श्री शांतिमुनिजी आपका जन्म नागदा में हुआ। आपकी दीक्षा वि०सं० २०१८ ज्येष्ठ कृष्णा द्वादशी को उज्जैन में हुई। आप विनयमुनिजी के शिष्य हुये। - ८. मुनि श्री महेन्द्रमुनिजी आपका जन्म धार में हुआ। आपकी दीक्षा वि०सं० २०१८ फाल्गुन सुदि द्वितीया को लीम्बड़ी में हुई। आप श्री सौभाग्यमलजी के शिष्य हुए। - ९. मुनि श्री कमलमुनिजी आपका जन्म गोंडल में हुआ। इगतपुरी में वि०सं० २०२५ मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी को आप दीक्षित हुए। आप श्री जीवनमुनिजी के शिष्य हुए। - १०. मुनि श्री प्रमोदमुनिजी 'मधु'- आपका जन्म नासिक में हुआ। वि०सं० २०२५ माघ शुक्ला पंचमी को घोटी में आपकी दीक्षा हुई। आप श्री विनयचन्द्रजी के शिष्य हुए। ११. मुनि श्री अनूपमुनिजी जन्म स्थान ज्ञात नहीं है। आपकी दीक्षा वि०सं० २०२६ को धंधुका में हुई। आप श्री हुकममुनिजी के शिष्य हुए। Jain Education International - १२. मुनि श्री प्रदीपमुनिजी आपका जन्म फागणा ( धूलिया) में हुआ। वि०सं० २०२८ आषाढ़ शुक्ला पंचमी को ढ़िढ़ोरी (नासिक) में आपकी दीक्षा हुई। आप श्री सौभाग्यमलजी के शिष्य हुए। बाद में आपने संयमपर्याय का त्याग कर दिया। १३. मुनि श्री विजयमुनिजी आपका जन्म रतलाम में वि०सं० हुआ। २०३१ चैत्र शुक्ला द्वितीया को फागणा में आप दीक्षित हुए। आप श्री सागरमुनिजी के शिष्य हुए। - १४. मुनि श्री प्रकाशचन्द्रजी 'निर्भय'- आपका जन्म २८ नवम्बर १९६० को रतलाम में हुआ। आपके पिता का नाम श्री सिद्धकरण गंग तथा माता का नाम श्रीमती पीस्ताभाई है। ८ मई १९७४ को पिम्पलगाँव वसवन्त (नासिक) में श्री सौभाग्यमुनिजी के शिष्यत्व में आपने दीक्षा ग्रहण की। दीक्षोपरान्त आपने एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। १५. मुनि श्री चैतन्यमुनिजी - आपका जन्म धार में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती रतनबाई तथा पिता का नाम श्री तखतमलजी बाफना है । १६ जून १९७४ को मुनि श्री विनयचन्द्रजी के कर-कमलों से इगतपुरी में आपने दीक्षा ग्रहण की। १६. मुनि श्री प्रेममुनिजी - आपका जन्म दौड़ (पूना) में हुआ। आपकी माता For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy