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स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास गौशालायें चल रही हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडू आदि प्रान्त आपके विहार क्षेत्र हैं। आपके साथ विद्यमान सन्तों के नाम हैं- उप-प्रवर्तक सलाहकार प्रखरवक्ता श्री सुकनमुनिजी, युवा तपस्वी श्री अमृतमुनिजी, श्री अरविन्दमुनिजी, श्री अमरेशमुनिजी, श्री महेशमुनिजी, श्री राकेशमुनिजी, श्री जयेशमुनिजी, श्री हरीशमुनिजी, श्री मुकेशमुनिजी, श्री नानेशमुनिजी, श्री दीपेशमुनिजी एवं श्री हीतेशमुनिजी। उप-प्रवर्तक श्री सुकनमुनिजी
आपका जन्म वि०सं० २००४ पौष शुक्ला चतुर्थी के दिन राजस्थान के जैतारण निवासी श्री मोहनलालजी ओसवाल के पुत्र के रूप में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती छगनबाई था। वि०सं० २०१९ फाल्गुन शुक्ला पंचमी को थावला (राजस्थान) में श्रमणसूर्य प्रवर्तक श्री मरुधरकेसरी श्री मिश्रीमलजी के कर-कमलों से आप दीक्षित हुये। संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, अंग्रेजी, हिन्दी, राजस्थानी आदि भाषाओं की आपको अच्छी जानकारी है। आप मधुरवक्ता के रूप में जाने जाते हैं। पूना सम्मेलन में (सन् १९८७) आपको श्रमण संघीय सलाहकार पद से विभूषित किया गया। वर्तमान में आप श्रमणसंघ में उप-प्रवर्तक के पद पर हैं। आपकी प्रवचन-शैली हिन्दी और राजस्थानी भाषा पर आधारित है। राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडू, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, दिल्ली आदि प्रान्त आपके विहार क्षेत्र हैं।
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