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________________ ३१६ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास मुनि श्री देवकरणजी स्वामी आपका जन्म गंदाला ग्राम में हआ। वि०सं० १९०३ माघ वदि सप्तमी को मांडवी में आपकी दीक्षा हुई। वि०सं० १९४१ श्रावण सुदि द्वितीया को लीम्बड़ी में आपका स्वर्गवास हो गया। मुनि श्री सुन्दरजी स्वामी, मुनि श्री दीपचन्दजी और आप तीनों सहोदर भ्राता थे। मुनि श्री दीपचन्दजी स्वामी आपका जन्म गुंदाला (कच्छ) में हुआ । वि०सं० १९०३ माघ वदि सप्तमी को मांडवी में आपने दीक्षा ग्रहण की। वि०सं० १९०६ में आप स्वर्गस्थ हुये। मुनि श्री जीवन स्वामी आपका जन्म गुंदाला में हुआ। आप मुनि श्री जयचन्दजी स्वामी के सांसारिक पुत्र थे। वि० सं० १९०३ माघ वदि सप्तमी को आप दीक्षित हुये। वि०सं० १९४९ ज्येष्ठ वदि एकादशी को हडाला (भाल-सौराष्ट्र) में आपका परलोकगमन हुआ। मुनि श्री. संघजी स्वामी आपका जन्म गुंदाला में हुआ और मोरवी में वि० सं० १९४५ में आप स्वर्गस्थ हुये। मुनि श्री. गोवर्धनजी स्वामी सीकरा (पूर्व कच्छ) में आप पैदा हुये। वि० सं० १९४६ आषाढ़ सुदि अष्टमी को आपका स्वर्गवास हुआ। अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। मुनि श्री मकनजी स्वामी __ आपका जन्म पूर्वकच्छ के लाकडिया ग्राम में हुआ। इसके अतिरिक्त अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। मुनि श्री कल्याणजी स्वामी. आपके जीवन के विषय में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। मुनि श्री रंगजी. स्वामी रामाणिया में आपका जन्म हुआ। वि०सं० १९१३ फाल्गुन सुदि त्रयोदशी को मांडवी में दीक्षित हुये। मुनि श्री वीरचन्द्रजी स्वामी __ आप मांडवी के रहनेवाले थे। इसके अतिरिक्त कोई अन्य जानकारी उपलब्ध नहीं है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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