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________________ धर्मदासजी की परम्परा में उद्भूत गुजरात के सम्प्रदाय ३१५ मुनि श्री खींमजी स्वामी आपने वि०सं० १८८१ माघ सुदि दशमी को दीक्षा ग्रहण की। अन्य सूचना उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री त्रिकमजी स्वामी आपका जन्म सुवई (पूर्व कच्छ) में हुआ। अन्य सूचना उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री रवजी स्वामी आपके जीवन सम्बन्धित कोई सूचना उपलब्ध नहीं होती है। मुनि तपस्वी. श्री लखाजी स्वामी आपका जन्म बेला में हुआ । वि०सं० १८८१ फाल्गुन वदि नवमी को आप दीक्षित हुये । ६५ दिन के संथारे के साथ वि०सं० १८८८ वैशाख वदि पंचमी को लीम्बड़ी में आप स्वर्गस्थ हुये। मुनि श्री रतनजी स्वामी. आपके जीवन से सम्बन्धित सूचनाएँ उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री. वनेचन्द्रजी (विनयचन्द्रजी) स्वामी आपके जीवन से सम्बन्धित सूचनाएँ उपलब्ध नहीं हैं। तपस्वी मुनि श्री वनाजी स्वामी __ आपका जन्म लीम्बड़ी में हुआ । वि०सं० १८८९ में आप दीक्षित हुये। पूज्य मुनि श्री कानजी स्वामी आपका जन्म गुंदाला (कच्छ) में हुआ। वि०सं० १८९१ में आप मांडवी में दीक्षित हुये। वि० सं० १९३६ माघ वदि पंचमी को लीम्बड़ी में आपका स्वर्गवास हुआ। उपाध्याय मुनि श्री शिवजी स्वामी __ आपका जन्म रापर में हुआ। दीक्षा वि०सं० १८९५ कार्तिक वदि सप्तमी को मांडवी में हुई । ३ दिन के संथारे के साथ वि० सं० १८३६ कार्तिक सुदि एकादशी को घोरांजी में आप स्वर्गस्थ हुये। मुनि श्री सुन्दरजी स्वामी गुंदाला में आपका जन्म हुआ। वि०सं० १९०१ माघ वदि प्रतिपदा को अंजार में आपने श्रमण जीवन अंगीकार किया। २८ वर्ष संयमपर्याय का पालनकर वि०सं० १९२९ कार्तिक सुदि द्वितीया को सायला में आप समाधिमरण को प्राप्त हुये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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