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________________ ३११ धर्मदासजी की परम्परा में उद्भूत गुजरात के सम्प्रदाय मुनि श्री रामचन्द्रजी स्वामी रतलाम में आपका जन्म हुआ। वि०सं० १८६७ फाल्गुन वदि द्वितीया को लीम्बड़ी में आपने दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री दामोदरजी स्वामी आपका जन्म घोरांजी में हुआ। वि० सं० १८६७ में लीम्बड़ी में आप दीक्षित हुये। मुनि श्री धर्मसिंहजी स्वामी आपका जन्म बीलखा में हुआ। वि०सं० १८६९ में आपने दीक्षा अंगीकार की। मुनि श्री. भारमलजी स्वामी आपका जन्म कच्छ के रताड़िया ग्राम में हुआ। वि० सं० १८६७ में आप दीक्षित हुये। वि०सं० १८७० में जेतपुर में आपका स्वर्गवास हुआ। मुनि श्री हेमराजजी स्वामी आपके विषय में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। स्थविरपद विभूषित श्री अविचलदासजी स्वामी आपका जन्म रव (पूर्व कच्छ) में हुआ। दीक्षा वि०सं० १८६९ कार्तिक वदि त्रयोदशी को लीम्बड़ी में हुई। स्वर्गवास वि० सं० १९११ में लीम्बड़ी में हुआ। मुनि श्री हभुजी स्वामी विदड़ा में आपका जन्म हुआ। किन्तु कुछ लोगों की मान्यता है कि आपका जन्म गुंदाला में हुआ। वि० सं० १८६९ कार्तिक वदि त्रयोदशी को लीम्बड़ी में आपने भागवती दीक्षा ली। इसके अतिरिक्त आपके विषय में कोई अन्य जानकारी प्राप्त नहीं है। मुनि श्री मूलजी. स्वामी __ आपका जन्म कच्छ के पत्री ग्राम में हुआ। वि०सं० १८६९ कार्तिक वदि त्रयोदशी को लीम्बड़ी में आप दीक्षित हुये। जूनागढ़ (सौराष्ट्र) में आप स्वर्गस्थ हुये । मुनि श्री रतनसिंहजी स्वामी (छोटे) वारोई में आपका जन्म हुआ । वि० सं० १८६९ कार्तिक वदि त्रयोदशी को लीम्बड़ी में आप दीक्षित हुये। आपकी स्वर्गवास तिथि अनुपलब्ध है। मुनि श्री. लाघाजी स्वामी _आपका जन्म गुंदाला में हुआ। वि०सं० १८६९ कार्तिक वदि त्रयोदशी को लीम्बड़ी में आप दीक्षित हुये। बुढ़वाणा में आपका स्वर्गवास हुआ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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