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________________ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास मुनि श्री रायमलजी स्वामी आपका जन्म खाखर (कच्छ) में हुआ। वि०सं० १८६१ कार्तिक वदि चतुर्थी दिन शुक्रवार को रापर में ही आपने दीक्षा ग्रहण की। वि०सं० १९०२ में लीम्बड़ी में आपका स्वर्गवास हुआ मुनि श्री हरजी स्वामी (छोटे) आपका खाखर में जन्म हुआ। वि०सं० १८६१ फाल्गुन सुदि चतुर्थी को लीम्बड़ी में आप दीक्षित हुये। अन्य तिथि उपलब्ध नहीं है। तपस्वी मुनि श्री गोवर्धनजी स्वामी सूरत में आपने जन्म लिया। वि०सं० १८६१ वैशाख सुदि एकादशी को लीम्बड़ी में आपकी आर्हती दीक्षा हुई। ६५ दिन के संथारे के साथ वि०सं० १८८७ मार्गशीर्ष सुदि द्वितीया को सायला में आप स्वर्गस्थ हुये। मुनि श्री हरिऋषिजी स्वामी आपका जन्म सूरत में हुआ । वि० सं० १८६१ वैशाख सुदि एकादशी को लीम्बड़ी में आप दीीत हुये। अन्य जानकारी अनुपलब्ध है। मुनि श्री मूलजी स्वामी. (बड़े) मोरबी में आपका जन्म हुआ। वि०सं० १८६३ फाल्गुन वदि एकादशी को मोरबी में ही आपने दीक्षाग्रहण की और वि०सं० १९०४ आसोज (आश्विन) वदि एकादशी को अहमदाबाद में आप स्वर्गस्थ हुये। मुनि श्री कुंवरजी स्वामी बढ़वाणा में आप पैदा हुये। वि०सं० १८६५ मार्गशीर्ष सुदि नवमी को लीम्बड़ी में आपने आहती दीक्षा ग्रहण की। मुनि श्री जेठाजी स्वामी ___ आपका जन्म घ्रोल में हुआ। वि०सं० १८६६ वैशाख वदि नवमी को बढ़वाणा में आपने संयमजीवन अंगीकार किया। मुनि श्री हंसराजजी स्वामी ___आप आसंबीया (कच्छ) में पैदा हुये। वि० सं० १८६७ पौष सुदि षष्ठी को रापर में आप दीक्षित हुये। अन्य कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। मुनि श्री अभयचन्दजी स्वामी आसंबीया में आपका जन्म हुआ। वि० सं० १८६७ पौष सुदि षष्ठी को रापर में आपकी दीक्षा हुई और अंजार में आप स्वर्गस्थ हुये। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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