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________________ २१० स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास । मुनि श्री नानकचन्दजी की शिष्य परम्परा श्री कृपारामजी आपका जन्म मध्यप्रदेश के खाचरौंद में हुआ। आप जाति से ओसवाल थे। वि०सं० १९४९ में आप दीक्षित हुए। आपके दीक्षा गुरु मुनि श्री नानकचन्दजी थे। जोधपुर में १७ दिन के संथारे सहित आपका स्वर्गवास हो गया। स्वर्गवास की तिथि उपलब्ध नहीं है। श्री जड़ावचन्दजी आपका जन्म उदयपुर के बेगूं में हुआ। आप जाति से ओसवाल थे। वि० सं० १९५० वैशाख कृष्णा सप्तमी को आपने मुनि श्री नानकचन्दजी से दीक्षा ग्रहण की। वि०सं० १९६६ फाल्गुन शुक्ला षष्ठी को आचार्य श्री सोहनलालजी ने आपको गणावच्छेदक पद पर प्रतिष्ठित किया। ऐसा उल्लेख है कि पद ग्रहण करते हुए आपने कहा था-“यदि मुनि मायारामजी के मुनियों का एकीकरण होता है तो मैं आज और अभी अपना गणावच्छेदक पद छोड़ सकता हूँ।" इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मुनि मायाराम जी के शिष्य अलग विचरण कर रहे थे । वि०सं० १९८८ मार्गशीर्ष में आपका स्वर्गवास हुआ । श्री मोहरसिंहजी आपका जन्म उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिलान्तर्गत तीतरवाड़ा ग्राम में हुआ था। वि० सं० १९५३ आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा को आपने मुनिश्री नानकचन्दजी से दीक्षा ग्रहण की । वि० सं० १९९९ की चैत्र कृष्णा दशमी को ८४ घण्टे के संथारे के साथ भिवानी में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके पाँच शिष्य हुए- श्री रामसिंहजी, श्री इन्द्रसेनजी, श्री मगनसिंहजी, तपस्वी श्री टेकचन्दजी और श्री पूर्णचन्दजी । मुनि श्री सुगनचन्दजी आपके विषय में कोई विशेष जानकारी नहीं मिलती है । आप जाति से ओसवाल जैन थे । मुनि श्री नानकचन्दजी के शिष्य थे । उत्तर प्रदेश के काँदला में आपका स्वर्गवास हुआ था। श्री रामसिंहजी आपका जन्म वि०सं० १९३८ में बीकानेर के जसरा ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम श्री रूपचन्द और माता का नाम श्रीमतीकेसर बाई था। वि०सं० १९५९ फाल्गुन शुक्ला सप्तमी को बेगूं के निकट कदवास ग्राम में आपने मुनि श्री मोहनसिंहजी से दीक्षा ग्रहण की । वि०सं० २००३ चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को पूज्य आचार्य आत्मारामजी द्वारा आपको गणावच्छेदक पद प्रदान किया गया। अक्टूबर १९५८ को Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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