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________________ आचार्य लवजीऋषि और उनकी परम्परा २०९ मुनि श्री वृद्धिचन्दजी ___आपका जन्म वि०सं० १९३७ में मेवाड़ के बगडूंदा में हुआ। वि० सं० १९५६ आषाढ़ शुक्ला नवमी को आपकी दीक्षा हुई। आपके दीक्षा गुरु मुनि श्री पूनमचन्दजी के शिष्य मुनि श्री नेमीचन्दजी थे । मुनि श्री मायारामजी से जब आपकी मुलाकात हुई तब आप उनसे प्रभावित हुए और उनकी निश्रा में ही विचरणे की भावना बनायी। यद्यपि मायारामजी दूसरे सम्प्रदाय के मुनियों को अपने संघ में मिलाना पसन्द नहीं करते थे, किन्तु मुनि श्री नेमीचन्दजी का ससंघ निवेदन अस्वीकार न कर सके। इस प्रकार आप मुनि श्री मायारामजी के संघ में शामिल हुए और उनके शिष्य कहलाये।। आपने ४८ वर्ष तक संयमपर्याय का पालन किया और ६७ वर्ष की आयु में वि०सं० १९९४ श्रावण कृष्णा द्वादशी को जींद के स्थानक में आपका स्वर्गवास हो गया। आपके चार शिष्य हुए- श्री कंवरसेनजी, श्री मामचन्दजी, श्री प्रेमचन्दजी और श्री बारुमलजी। मुनि श्री मनोहरलालजी आपका जन्म रोहतक नगर के बाबरा मुहल्ले में हुआ। आप अग्रवाल जाति के थे। पूज्य श्री मायारामजी के पाँचवें शिष्य कहलाये। आप विनय और शालीनता के प्रतीक माने जाते थे । आपकी जन्म-तिथि, दीक्षा-तिथि की जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। मुनि श्री कन्हैयालालजी आपके विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होती है । इतना ज्ञात होता है कि आप मायारामजी के छठे शिष्य थे। मुनि श्री सुखीरामजी आपका जन्म वि०सं० १९१४ में हुआ। आप चारित्र चूड़ामणि श्री मायाराम जी के छोटे भाई थे। आपने गृहस्थ जीवन छोड़कर तथा घर का पूरा दायित्व अपने भतीजा श्री बेगूरामजी को सौंपकर वि०सं० १९५९ पौष शुक्ला षष्ठी को दीक्षा ग्रहण की। संयमपर्याय का पालन करते हुए जिनशासन की खूब ज्योति जलाई । आप तप और त्याग की प्रतिमूर्ति थे । आपकी तप साधना को देखकर लोग कह उठते थे कि श्री सुखीजी म० सा० गजब के साधु हैं । २० वर्ष तक संयमपर्याय की साधना कर वि०सं० १९७९ के पौष मास में रोहतक में आपका स्वर्गवास हो गया। आपके तीन शिष्य थे- श्री अमीलालजी, श्री रामजीलालजी और नेमचन्दजी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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