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________________ आचार्य लवजीऋषि और उनकी परम्परा २११ ११२ घण्टे के संथारे सहित पंजाब के बुढ़लाडामंडी में आपका स्वर्गवास हुआ। आपके छ: शिष्य हुए- श्री नौबतरायजी, श्री मनोहरलालजी, श्री नेमचन्दजी, श्री त्रिलोकचन्दजी, श्री भगवानदासजी और श्री मंगतमुनिजी। मुनि श्री इन्द्रसेनजी आपका जन्म जींद (हरियाणा) के खटकड़कला ग्राम में हुआ और दीक्षा पंजाब के पट्टी में हुई । इनके विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। मुनि श्री मगनसिंहजी. आपका परिचय उपलब्ध नहीं होता है। मुनि श्री टेकचन्दजी ___आपका जन्म रोहतक के गरावड़ में हुआ। वि०सं० १९८८ आषाढ़ शुक्ला नवमी को आपने मुनि श्री मोहनसिंहजी से कलानौर में दीक्षा ग्रहण की। ३१, ३३, ३५, ४१, ४५ दिनों तक की तपस्यायें आपने गर्म जल के आधार पर की। ई०सन् १९ जून १९७९ को आपका खेयोवाली में स्वर्गवास हो गया। मुनि श्री पूर्णचन्दजी आपका जन्म उत्तर प्रदेश के बड़ौत में हुआ। रोहतक के रिढाल में आपकी दीक्षा हुई । वि० सं० १९९८ में अम्बाला छावनी में आपका स्वर्गवास हो गया। श्री नौबतरायजी आपका जन्म वि०सं० १९६४ चैत्र शुक्ला पंचमी को मुजफ्फरनगर के तीतरवाड़ा ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम श्री सन्तरामजी और माता का नाम श्रीमती निहाल देवी था। वि० सं० १९८० माघ शुक्ला दशमी को आपने मुनि श्री रामसिंहजी से दीक्षा अंगीकार की। श्रमण संघ में उप-प्रवर्तक पद पर प्रतिष्ठित हुये। आपके एक शिष्य हये- मुनि श्री प्रीतमचन्दजी। श्री मनोहरलालजी आपके जन्म के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होती है । वि० सं० १९८७ में करनाल के गोल्ली ग्राम में आप दीक्षित हुए। ३१ व ४१ दिन की लम्बी तपस्याएँ की। वि०सं० २०२५ फाल्गुन शुक्ला चतुर्दशी को भिक्खीनगर में आपका स्वर्गवास हुआ। श्री नेमचन्दजी आपका जन्म सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा में वि०सं० १९७६ ज्येष्ठ मास की चतुर्दशी को हुआ। आपके पिता का नाम श्री देवीलाल जैन तथा माता का नाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001740
Book TitleSthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & religion
File Size10 MB
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