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( xxxvii ) नहीं चल सकता है, उनमें प्रतिपादित व्यंग्य को समझने के लिए वैदुषी के साथसाथ सहृदयता भी अपेक्षित है । शैली को उदात्तता, भावों की तीव्रता, भाषा को सजीवता, अलंकारों की गरिमा और भणिति-भंगिमा की दृष्टि से यह प्राकृत साहित्य के श्रेष्ठतम काव्यों में से एक है। नैतिक आदर्श
नैतिक दृष्टि से भी वज्जालग्ग एक सुन्दर कृति है । समाज में भले-बुरे लोगों को ठीक-ठीक पहचान पाना एक कठिन कार्य है। प्रस्तुत ग्रन्थ में खलों और सज्जनों के लक्षण देकर एक को त्यागने और दूसरे को अंगीकार करने के उपदेश हैं। सज्जनों के चरित का बड़ा ही उदात्त चित्रण किया गया है। सज्जन क्रोध नहीं करता, यदि करता है, तो अमंगल नहीं सोचता । यदि सोचता है, तो कहता नहीं और यदि कहता है, तो लज्जित हो जाता है । दृढ़ रोष से कलुषित होने पर भी मुंह से अप्रिय वचन नहीं निकलते । वह न तो दूसरे का उपहास करता है और न अपनी श्लाघा । विप्रियकारी के प्रति भी उसका व्यवहार मधुर ही रहता है । दुष्टों के कठोर वचन सुन कर वह हँस देता है। नित्य उपकार में तत्पर रहता है, किसी का भी अहित नहीं करता । उसका क्रोध बिजली की कौंध के समान क्षणभंगुर होता है और उसकी मैत्री पाषाण-रेखा के समान कभी भी धूमिल नहीं होती। दोनों का उद्धार, शरणागत का रक्षण, अपराधियों को क्षमा कर देना-ये सज्जन की विशेषतायें हैं। वह विकट परिस्थिति में भी वचनभंग नहीं करता है । मैत्री के प्रसंग में जल और दुग्ध का दृष्टान्त दिया गया है। जल जब मिलता है, तब दुग्ध को अधिक बना देता है और ओटाने पर पहले वही जलता है। सच्चा मित्र वही है, जो आपत्ति में पहले काम आता है। वस्तुतः उसे ही मित्र बनाना उचित है, जो भित्ति-चित्र के समान किसी संकट और देश-काल में पराङ्मुख न हो । कुलीन व्यक्ति का वाग्बन्धन लौह-शृंखला तथा अन्य सभी पाशों से सुदृढ़ होता है । अंगस्पर्श ही प्रेम का लक्ष्य नहीं है, प्रेमी को देख लेने मात्र से सुख की प्राप्ति होती है । खलों के चरणों में प्रणत होकर त्रैलोक्य की संपत्ति अजित कर लेने की अपेक्षा सम्मान-पूर्वक तण का अर्जन भी सुखद है। धीरवज्जा में धैर्यगुण की प्रशंसा की गई है और बताया गया है कि धीर-पुरुषों को ही लक्ष्मी प्राप्त होती है। आकाश तभी तक विस्तीर्ण है, समुद्र तभी तक अगाध है और शैलश्रेणियाँ तभी तक दुर्लध्य है, जब तक उनकी तुलना धीरों से नहीं की जाती है। धीरों के लिए मेरु तृण के समान, स्वर्ग घर के प्रांगण के समान, आकाश हाथ से छुये हुये के समान और समुद्र क्षुद्र नदी के समान हो
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