SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 518
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वज्जालग्ग ४४३ अर्थ-देखो, काम ही जिसका दिव्य भोजन है (या जो काम का दिव्य भक्षक है) वह निष्ठुर हृदय वार्धक्यरूपी ज्वरराज सखी के अंग को सिकोड़ रहा है (उनमें झुरियाँ पड़ रही हैं या वे झुकते जा रहे है)। इस समय भी काम उसकी (सखी की) सेवा कर रहा है । __ स्वामिभक्त सेवक वही होता है, जो गाढ़े दिन में भी काम आये। काम नायिका का इतना भक्त सेवक है कि वार्धक्य में भी साथ नहीं छोड़ रहा है। गाथा क्रमांक ६७३ अवहरइ जं न विहियं जं विहियं तं पुणो न नासेइ । अइणिउणो नवरि विही सित्थं पि न वड्ढिउं देइ ॥ ६७३ ।। प्रो० पटवर्धन ने लिखा है कि इस गाथा का भाव स्पष्ट नहीं है ।' रत्नदेव ने 'विहियं' का अर्थ 'कृतम्' लिखा है, जिसे आधार मानकर अंग्रेजी टिप्पणी में बहुत बड़ा ऊहापोह किया गया है । संस्कृत-टीका में 'अवहरइ जं न विहियं' की व्याख्या इस प्रकार की गई है विधिर्यन्न कृतं तन्नापहरति अर्थात् जो नहीं किया गया है, उसका अपहरण विधि नहीं करता है। यह व्याख्या बिल्कुल निरर्थक है। श्री पटवर्धन ने भी 'विहिय' का अर्थ 'कृतम्' ही स्वीकार किया है। अतः उन्हें बहुत अधिक भटकना पड़ा है और अन्त में इस नितान्त सरल गाथा को भी दुरूह घोषित करना पड़ा। यहाँ 'विहियं' का अर्थ है--पूर्व-निर्धारित । मनुष्य को अपने जीवन में जो कुछ भी प्राप्य होता है, वह विधाता-द्वारा बहुत पहले से ही निर्धारित रहता है । उसमें किसी भी प्रकार न्यूनाधिक्य सम्भव नहीं है। गाथार्थ--जो पूर्व-निर्धारित नहीं है उसे हर लेता है, (प्राप्त नहीं होने देता ) जो निर्धारित है उसे नष्ट नहीं करता ( सँजोये रहता है), भाग्य ही मनुष्यों को उनका प्राप्य देने में अति निपुण है, एक कण भी बढ़ने नहीं देता। गाथा क्रमांक ६८१ केसाण दंतणह ठक्कराण वहुयाण वहुयणे तह य । थणयाण ठाणचक्काण मामि को आयरं कुणइ ॥ ६८१ ॥ १. वज्जालग्गं (अंग्रेजी संस्करण), पृ० ५७०-७१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001736
Book TitleVajjalaggam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayvallabh, Vishwanath Pathak
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1984
Total Pages590
LanguagePrakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy