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९०*१०. यह गाथा गुणवज्जा में गाथा क्रमांक ६८७ पर है | ॥१०॥
९०* ११. यह गाथा भी गुणवज्जा में गाथा क्रमांक ६८९ पर है ॥ ११ ॥
* ९०* १२. बुद्धि, सत्य, मैत्री, सेवारत सेवक और महाकाव्य – ये सभी प्रारम्भ में सरल होते हैं, परन्तु बाद में इनका निर्वाह करना कठिन हो जाता है ॥ १२ ॥
९०* १३.
वज्जालग्ग
९०* १४.
यह गाथा दारिद्दवज्जा में गाथा क्रमांक १४३ पर है।
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यह गाथा गुणवज्जा में गाथा क्रमांक ६९० पर है | ॥ १४ ॥
९०* १५. यह गाथा गुणसलाहा वज्जा में गाथा क्रमांक ७०० पर है ॥ १५ ॥
इन गाथाओं के अर्थ सूचित स्थलों पर देखें ।
* विशेष विवरण परिशिष्ट 'ख' में देखिए 1
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