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वज्जालग्ग
*७१७. जल में रहने वाले कमल यदि सूर्य के भरोसे रहते हैं, तो उनका कौन सा उपकार हो जाता है । जब कमलों की जड़ें उखाड़ दी गईं और सरोवर का पंक भी शुष्क हो गया, तब सूर्य ने उन्हें क्यों नहीं बचा लिया ॥ ७ ॥
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८२ - हंस - माणस - वज्जा (हंसमानस -पद्धति)
७१८. हे हंस ! जब तक मायावी वक मस्तक पर पैर न रख दे, तभी तक सरोवर को छोड़ दिया जाता है । दैव के विमुख हो जाने पर निवास कैसा ? ॥ २॥
७१९. जो वर्षाकाल में, पहले ही मानसरोवर को चले गये, उच्चासन पर बैठे वक-परिवार को जिन्होंने नहीं देखा, वे हंस धन्य हैं ॥ २ ॥
७२०. जहाँ पुलिन का पर्यन्त भाग क्षुद्र ( उतर) विहंगों के चरणचिह्नों से चित्रित है, उस सरोवर में राजहंसों को नहीं रहना चाहिए ॥ ३ ॥
७२१. मनस्वी राजहंसों ने कमल वन को विविध (क्षुद्र ) विहंगों से मण्डित देख कर मानस को छोड़ दिया ॥ ४ ॥
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८३ - चक्कवाय - वज्जा (चक्रवाक-पद्धति)
७२२. सूर्य के अस्त हो जाने पर चक्रवाकों को जो दुःख होता है, वह तुम्हारे शत्रुओं को हो अथवा उन्हें भी न हो ॥ १ ॥
* विशेष विवरण परिशिष्ट 'ख' में द्रष्टव्य ।
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