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हिन्दी अनुवाद-अ. १, पा. २
वा पुआय्याद्याः ।। १०९ ।।
__ स्वर इत्यादि आदेश विशेषोंसे युक्त ऐसे पुआई इत्यादि शब्द विकल्पसे निपातके रूपमें आते है । उदा.-(१) पुआई (पानी) पिशाच और उन्मत्त । (२) ऊणंदिअं आनन्दित । (३) टोंबरो तुम्बुरु । (४) माहिवाओ माघमासका वात । (५) सइकोडी शतकोटि । (६) माइन्दो माकन्द यानी आम्रवृक्ष । (७) ओन्दुरो उन्दुरू यानी चुहा । (८) अलिआ आली यानी सखी। (९) तणसोलं तृणशूलम् [यानी] मल्लिका, ऐसा अर्थ । (१०) रिठ्ठो अरिष्टः [यानी] दैत्य या कौआ । (११) हुलिअ लघु [यानी] शीघ्र, ऐसा अर्थ । (१२) किरो किरिः [यानी] वराह, ऐसा अर्थ। (२३) वामरोरो वामलूरः [यानी] वल्मीक यानी वामी । (१४) वन्द्रं वृन्दम् यानी समूह | (१५) हेरिम्बो हेरम्ब यानी गणेश । (१६) चिकं स्तोक यानी स्वल्प । (१७) चलणाओहो चरणायुध यानी कुक्कुट। (१८) पुआइणिआ पिशाचिनी । (१९) मूसलं मांसल। (२०) महालवक्खो महालयपक्ष । (२१) चंचरिओ चञ्चरीक यानी भवरा ॥ १०९ ॥
-द्वितीय अध्याय द्वितीय पाद समाप्त -
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